हर्निया का होम्योपैथिक इलाज: आँतों को चारों तरफ़ से लपेट कर घेरने वाली एक परत है । बच्चे के जन्म से पहले उसके अण्ड इसी परत में होते हैं, परन्तु बाद को ये अण्ड नीचे की थैली में उतर आते हैं।
ये अण्ड जहाँ से थैली में उतरते हैं वहाँ दो छेद हैं । कभी-कभी इन दो छेदों में से छोटी आँत का कुछ भाग इस थैली में उतर आता है, जिसे – Ingual hernia कहते हैं ।
कभी-कभी बच्चे की नाभि के छेद से भी आँत बाहर को निकल आती है । जिसे ‘Umbilical hernia’ कहते हैं । इन छेदों द्वारा आँत के कुछ भाग के बाहर निकल आने को ही आँत उतरना या ‘हर्निया’ (Hernia) कहते हैं ।
आँत उतरने के कई कारण हैं । बहुत भारी बोझ को उठाना, गिर पड़ना, ज़ोर से खाँसना, बुढ़ापे में कमज़ोरी आदि कारणों से आँत का कुछ हिस्सा उन छेदों में से बाहर आ जाता है ।
अगर आँत इस छेद में फँस जाए, तब बहुत दर्द होता है। आँत को अन्दर करके इन छेदों को सर्जन द्वारा सी देने से आराम हो जाता है, परन्तु भारी बोझ को उठाने से फिर शिकायत हो सकती है।
होम्योपैथी में इसे ठीक करने की कुछ बहुत अच्छी अच्छी दवा उपलब्ध है :-
Lycopodium – यह दवा दायें अण्डकोश में आँत उतरने में काम आती है। रोगी को दायीं जाँघ में काटता सा दर्द होता है, ऐसे समय अगर Lycopodium 1M की 2 बून्द 15 दिन में एक बार दो-तीन महीने दे दी जाएँ, तो यह हार्निया ठीक हो सकता है । दायें भाग के हार्निया में Aesculus भी उपयोगी है।
Nux Vomica और Cocculus – जैसे Lycopodium दायें हर्निया में काम आता है, वैसे Nux बायें अण्डकोश में उतरने वाली आँत को सँभाल लेता है । जब सुबह उठने के बाद रोगी यह शिकायत करे कि पेट की परत में जहाँ से छोटी आँत अण्डकोश के थैली में उतर सकती है वहाँ कमजोरी अनुभव हो रही है, ख़ास कर बायीं तरफ़ की जाँघ के पास, तब इस दवा का इस्तेमाल कर लेना है।
जैसे अण्डकोश के हर्निया- Ingual hernia—में यह उपयोगी है, वैसे छोटे बच्चे की नाभि के हर्निया- Umbilical hernia – में भी यह उपयोगी है। अगर Nux Vomica से लाभ न हो, तो Cocculus का इस्तेमाल हमें करना चाहिए।
Aconite और lachesis – जब आँत का हिस्सा छेद में से अण्डकोश की थैली में जाता-जाता रास्ते में अटक जाए और इस अटकी हुई आँत में सूजन हो जाए, जलनवाला दर्द हो, पित्त की उछाली आ
घबराहट के साथ ठंडा पसीना आने लगे, तब Aconite देना चाहिए। इस अवस्था में lachesis पर भी ध्यान जाना चाहिए अगर अटकी हुई आँत में सड़ने सी बदबू आने लगे । परन्तु इस प्रकार के हर्निया में ऑपरेशन करा लेना अच्छा रहता है ।
Calcarea Carb – मोटे-ताजे, थुलथुले बच्चों के आँत उतरने में इसका प्रयोग करना चाहिये। हर प्रकार के हर्निया में इसी दवा से इलाज शुरू करना अच्छा है। बहुत से रोगी तो इसी से अच्छे हो जायेंगे ।
हर्निया का होम्योपैथी से इलाज उसके प्रारम्भ होने की अवस्था में करना चाहिये, रोग बढ़ जाए, तो ऑपरेशन करा लेना ठीक रहता है ।
यह मुख्य रूप से एक शल्यक्रियात्मक स्थिति है। (किसी अंग के किसी भाग या उसकी गुहा जिसमें सामान्यतया वह स्थित रहता है, की दीवार से बाहर निकलना ही बहिःसरण या हर्निया कहलाता है।) इस स्थिति में होम्योपैथी दो प्रकार के केसेज़ में व्यवहार्य है। पहला, वंक्षण (इंगुईनल) या और्विक (फेमोरल) हर्निया की आरम्भिक स्थिति में और दूसरा उन केसेज़ में जो किन्हीं संबंधित कारणों या वृद्धावस्था के कारण ऑपरेशन के अनुपयुक्त हो।
Video On Hernia
हर्निया के इलाज का होम्योपैथिक दवा : नक्सवोमिका की पोटेंसी बढ़ते हुए क्रम में 200 से 10 एम. तक तथा कोनियम 200 पर्यायक्रम से।
केस 1
मैंने 58 वर्षीय एक मेरीन इंजीनियर को निरोग किया था जो ऑपरेशन नहीं करा सकता था क्योंकि हाल ही में उसकी पत्नी का देहांत हो गया था। वह लंबे समय तक ‘कॉम्बीफ्लाम’ लेती रही थी जिसके कारण उसके आतों से रक्तस्राव होने लगा। और जिसके लिए उसका ऑपरेशन करना पड़ा था।
केस 2
एक 22 वर्षीय युवक, मेरा कर्मचारी, हर्निया से पीड़ित था किंतु वह आर्थिक अभावों के कारण इलाज नहीं करा सकता था। मैंने उसे नक्सवोमिका 200 दिया और फिर इसके बाद इसी औषध की पोटेंसी बढ़ते क्रम में दी गई। मैंने उसे कोनियम नहीं दिया क्योंकि वह पिछले केस में वर्णित रोगी की तरह रोगभ्रमी नहीं था।
ऑपरेशन के बाद हर्निया ( Incisional Hernia )
कभी-कभी यह उदर के ऑपरेशन के बाद हो जाता है जिसके लिए शल्यचिकित्सा की ही आवश्यकता पड़ती है।
कभी-कभी पेट से ऑत उतरकर नाभि या अण्डकोष में आ जाती है। पुरानी कब्जियत आदि कारणों से ऐसा हो जाता है ।
लाइकोपोडियम 30- खासकर जब पेट वायु से भरा हो, रोगी बहुत बेचैनी का अनुभव करे तब इस दवा का प्रयोग लाभप्रद रहता है ।
ओपियम 30- बार-बार पाखाना जाने की इच्छा, कै होना, जी मिचलाना, पेट में वायु का भर जाना इत्यादि उपसर्ग मौजूद रहने पर लाभ करती है।
आर्निका 30– चोट लगने या भारी वजन उठाने के कारण ऑत उतर जाने पर प्रयोग करें |
लैकेसिस 6- ऑत उतरने पर अगर सड़न शुरू हो जाये तो इस दवा का प्रयोग करना चाहिये ।
सल्फर 30 और नक्सवोमिका 30- अजीर्ण, कब्ज और अन्य उदररोगों के कारण ऑत उतरने पर सुबह सल्फर और रात के समय नक्सवोमिका का सेवन करें ।
प्लम्बम 3x- नाभि के चारों ओर भयंकर दर्द, शूल, वेदना, कब्जियत आदि उपसर्ग रहने पर इस दवा का प्रयोग करें ।
सल्फ्युरिक एसिड 30- ऑत उतरने के साथ ही अगर कै की अधिकता हो तो इस दवा का सेवन कर लाभ उठायें ।
आर्सेनिक 30- ऑत में ऐंठन व ऑत का सड़ना, पेट में वायु भरकर अकड जाये तो इस दवा का सेवन करें |