सामान्यतः व्यक्ति को हिचकियाँ आती रहती हैं जो थोड़ी देर में या तो स्वतः ही रुक जाती हैं या पानी पीने पर बन्द हो जाती हैं लेकिन ऐसी हिचकी हानिप्रद नहीं होती । लेकिन बार-बार हिचकी आने की प्रवृत्ति बन जाये तो यह भी एक प्रकार का रोग है । किसी संक्रामक या प्राणघातक रोग जैसेहैजा, टाइफाइड, तीव्र ज्वर, मस्तिष्क में रसौली आदि में हिचकी आने पर यदि थोड़ी देर में न रुकें तो मृत्यु भी हो सकती हैं । रोगी को चैन नहीं मिल पाता और वह परेशान रहता हैं ।
साइक्यूटा 30, 200– तीव्र हिचकी के साथ छाती में ऐंठन, उदर-कृमि, पाकस्थली में जलन व दर्द, अचेतन भाव आदि लक्षणों में 30 शक्ति में दें। इस शक्ति से लाभ न होने पर 200 शक्ति में दें । जितनी तीव्र आवाज के साथ हिचकी रहेगी, यह दवा उतना ही अधिक लाभ करेगी !
कैजुपूटम 2x- जटिल प्रकार की हिचकी; हँसने, बोलने, खाने या जरासा हिलने से ही हिचकी बढ़ जाने की दशा में दें ।
जिनसेंग Q- सभी प्रकार की हिचकी में लाभप्रद । दवा की 4-5 बूंदों को थोड़े-से पानी में डालकर हर 25-30 मिनट बाद देना चाहिये ।
एमोनियम म्यूरियेटिकम 3x- हिचकी के कारण काफी कष्ट हो, हिचकी आते समय हृदय में दर्द हो तो इसे देना लाभकर है ।
पल्सेटिला 30- खट्टी डकारें आने के साथ ही हिचकी आयें, किसी ठंडे पेय को लेने से हिचकी बढ़ जायें तो इसे देना चाहिये ।
वाइबर्नम प्नुनिफोलियम Q- न रुकने वाली हिचकी में इसे देना चाहिये। यदि किसी भी दवा से बिल्कुल लाभ न हो अथवा लाभ स्थायी न रहे तो भी यह लाभ करती हैं । इसकी 4-5 बूंदें ताजा पानी में डालकर रोगी को दें, मात्रा को जल्दी-जल्दी दोहरायें ।
एमिल नाइट्रेट Q, 6, 200– बहुत तीव्र हिचकी आ रही हों तो इस दवा को 6 या 200 शक्ति में दें । यदि इस या किसी भी अन्य दवा के सेवन से हिचकी में आराम न मिले तो एमिल नाइट्रेट Q की कुछ बूंदें रुमाल में डालकर या इसकी शीशी को नाक के पास ले जाकर रोगी को सुंघायें ।
कूप्रम मेट 6, 30- हिचकी की प्रमुख दवा है । ऐंठन के साथ हिचकी, हैंजा रोग में हिचकी आदि में देनी चाहिये ।
काली ब्रोम 2x- डॉ० सिन्हा का कहना है कि यह हिचकी की एक उत्तम दवा हैं | जब कभी भी हिचकी की सभी दवायें फेल हो जायें तो काली ब्रोम 2x विचूर्ण में देने से लाभ होता है ।