व्यवसाय-धन्धे अथवा घर-गृहस्थी के किसी एक ही काम में लगे रहने, लगातार बोलते रहने, परीक्षा का भय आदि कारणों से दिमागी-थकान आ जाती है। इसमें लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ लाभप्रद हैं :-
सीपिया 200 – किसी एक ही काम में लगे रहने के कारण दिमागी-थकान दिमाग का काम न करना तथा सिर-दर्द के लक्षणों में हितकर है ।
लाइकोपोडियम 30, 200 – लगातार धारा-प्रवाह बोलते रहने के कारण आने वाली दिमागी-थकान, जिसमें बोलते-बोलते उपयुक्त शब्द का प्रयोग न कर पाना अथवा बार-बार भूल करना आदि लक्षणों में हितकर है ।
इथूजा 3, 30 – परीक्षा से भय लगने के कारण विद्यार्थियों की दिमागी-थकान में लाभकर है ।
साइलीशिया 30 – स्नायु-संस्थान की उत्तेजना, दिल की कमजोरी तथा मानसिक-शक्ति के अभाव के कारण आती हुई दिमागी थकान में लाभकर है।
जिंकम-ब्रोम 3x – व्यापार धन्धे आदि परेशानियों के कारण आई हुई दिमागी थकान में हितकर है ।
जिंकम-मेट 3, 6 – स्नायु-संस्थान की कमजोरी के कारण आई हुई दिमागी थकान में, जिसमें मांसपेशियों में थरथराहट, शरीर में कम्पन तथा रोगी द्वारा पाँव हिलाते रहने के लक्षण दिखाई दें, इस औषध के प्रयोग से लाभ होता है ।
कैलि-ब्रोम 3x – व्यवसायियों की दिमागी-थकान के लिए यह श्रेष्ठ औषध है । देर तक कठिन दायित्वों को सँभालना, कठिन समस्याओं को सुलझाते समय मस्तिष्क का सुन्न होने लगना तथा चलते समय पाँवों का लड़खड़ाना – इन लक्षणों में इस औषध का प्रयोग हितकर सिद्ध होता है ।
कैल्केरिया-फॉस 3 – घर-गृहस्थी की चिन्ताओं अथवा किसी बीमारी के बाद दिमागी-थकान के लक्षणों में इसे दें ।
ऐनाकार्डियम 6, 30, 200 – परीक्षा का भय, आत्म-विश्वास का अभाव, मन का भूल-भूला रहना, काम करने की अरुचि, विद्यार्थी का परीक्षा काल आने से पूर्व अत्यधिक भयभीत हो जाना – इन लक्षणों में यह औषध विशेष लाभ करती है ।
फास्फोरिक एसिड 1x – अधिक काम करने के कारण मस्तिष्क तथा मेरुदण्ड की थकान, दिमागी काम करने पर सिर भारी होने लगना तथा शरीर के अन्य अंगों का सुन्न होने लगना, विचार-शक्ति में गड़बड़ी, चक्कर आना, कमर व टाँगों में कमजोरी तथा जलन की अनुभूति होना-जबकि वास्तव में जलन होती नहीं है और न किसी प्रकार का दर्द होता है। मल-त्याग के समय वीर्य-स्राव होने लगना-इन लक्षणों वाले दिमागी-थकान तथा थके-मांदे रोगी के लिये यह औषध विशेष हितकर है ।
फास्फोरस 30 – इस औषध का रोगी लम्बा-पतला, सिकुड़ी छाती का तथा कमजोर शरीर वाला होता है । उसे एकदम शारीरिक थकान आती है, इसके साथ ही यह दिमागी थकान भी अनुभव करता है – ऐसे लक्षणों में यह औषध लाभ करती है।
पिकरिक-एसिड 6 – थोड़ा-सा मानसिक-कार्य करने पर सिर के अग्रभाग में अथवा सिर की गुद्दी में हल्का-हल्का दर्द हो उठना और वहाँ से दर्द का उतर कर रीढ़ की हड्डी तक चले जाना, स्पाइनल कॉलम में, टाँगों तथा कमर में जलन का अनुभव, त्वचा पर चींटियाँ रेंगने जैसी अनुभूति, आँखों की हरकत (देखने आदि) से कष्ट का अनुभव, हर समय थका-थका रहना, पढ़ने-लिखने का काम शुरू करते ही उक्त लक्षणों का प्रकट होना, हल्के दर्द के साथ कभी-कभी सिर में टपकन के साथ तीव्र दर्द हो उठना तथा सिर को कसकर लपेट लेने अथवा आराम से पड़े रहने से एवं खुली हवा में चैन का अनुभव होना-इन सब लक्षणों में यह औषध लाभ करती है। इस औषध के रोग के लक्षण प्रातः-काल बढ़ जाया करते हैं ।
नक्स-वोमिका 6, 30 – इसमें भी पिकरिक एसिड जैसे ही लक्षण पाये जाते हैं, अन्तर केवल यही है कि इस औषध के रोगी में उक्त लक्षणों के अतिरिक्त पेट सम्बन्धी कोई विकार भी अवश्य होता है। इस औषध के लक्षण भी प्रात:काल बढ़ सकते हैं ।