कैलि-कार्ब 30 – अकेले रहने में भय लगना, विशेषकर शाम को बिस्तर पर लेटते समय अकेले रहने से डरना, किसी दुर्घटना के घट जाने का भय, पागल हो जाने का भय तथा यह भय कि कहीं दूसरे लोग उनके मानसिक विक्षेप को न भाँप लें – इन लक्षणों में हितकर है।
ऐकोनाइट 30 – मृत्यु-भय के कारण बेचैन होना, गर्भावस्था में मृत्यु का भय, कोलाहल, भीड़ तथा अँधेरे का भय, रेलगाड़ी आदि में यात्रा करने का भय, भूत-प्रेत आदि का भय तथा बिना किसी कारण के भयभीत होने के लक्षणों में प्रयोग करें ।
प्लैटिना 30 – शोकाकुल होने के साथ ही मृत्यु-भय के लक्षणों में हितकर रहता है ।
बेलाडोना 6 – भय के कारण चिल्लाना और रोना तथा भय के साथ निरन्तर बनी रहने वाले वेदना में लाभकर है।
हायोसायमस 6, 30, 200 – कोई घायल न कर दे, विष न दे-दे अथवा मार न डाले – ऐसे भय के लक्षणों में प्रयोग करें । किसी से झगड़ा न हो जावे अथवा किसी के द्वारा दुत्कारे जाने के कल्पित भय में भी हितकर है।
हाइड्रो-फोबीनम 200 – पागल कुत्ते आदि के काटने पर पानी के भय के लक्षणों में इसका प्रयोग करना चहिए ।
ओपियम 20 – भय के कारण दस्त लग जाने पर इसके प्रयोग से लाभ होता है। भयोत्पादक कल्पनाओं तथा भय के कारण उत्पन्न होने वाले भय के रोगों में हितकर है।
स्ट्रैमोनियम 30 – एकान्त का भय, अँधेरे का भय, पानी से भय, कुत्ते का भय, अकेले न रह पाना, कमरे में रोशनी हुए बिना उसमें सो न पाना, चमकीली वस्तु से डरना, पानी में चमक होने के कारण उससे डरना तथा अन्य प्रकार के भय के लक्षणों में हितकर है ।
जेल्सीमियम 30 – युद्ध के दिनों में बम-वर्षा की कल्पना, भय के कारण दिल का धड़कने लगना, भय के कारण कम्पन, थकान तथा शक्तिहीनता के लक्षणों में इसे दें ।
फास्फोरस 30 – भविष्यत् दुर्घटना को सोच-सोचकर भयभीत होने वाले शीत-प्रधान व्यक्तियों के लिए लाभकर है ।
अर्जेण्टम नाइट्रिक 3, 30 – अपनी बुद्धि नष्ट हो जाने की आशंका से भयभीत बने रहना, किसी बात की प्रतीक्षा में घबराते रहना तथा जब तक कोई घटना नहीं घट जाय, तब तक भयभीत बने रहना-ऐसे लक्षणों वाले तथा हर बात में जल्दी करने वाले उष्णता-प्रधान रोगियों के लिए यह औषध हितकर है ।
क्यूप्रम-मेटालिकम 6, 30 – भय के कारण ऐंठन तथा आक्षेप पड़ जाने के लक्षणों में हितकर है।