कभी-कभी हमारे पूरे शरीर में या फिर किसी अंग विशेष में सूजन आ जाती है विशेषकर पैरों में सूजन आना एक आम समस्या है लेकिन यदि ऐसा बार-बार हो तो यह किसी बड़ी बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
यह शरीर में अत्यधिक पानी एकत्रित होने के कारण होता है या यह हृदय लिवर या किडनी की किसी समस्या का संकेत भी होता है।
जब शरीर में अतिरिक्त पानी या फ्लूइड जमा हो जाता है तो शरीर में सूजन आने लगती है जिसे इडिमा कहा जाता है। जब यह सूजन टखनों, पैरों और टांगों में आती है तो उसे पेरीफेरल इडिमा कहते हैं।
कभी-कभी लम्बे समय तक सफर करने या अनुचित आहार लेने के कारण भी पैरों में हल्का सूजन आ जाता है यह कोई बड़ी समस्या नहीं है लेकिन ज्यादा समय तक रहने वाला सूजन गंभीर बीमारी का संकेत होता है।
शोथ अर्थात सूजन जिसके कारण शरीर में जहां जहां सेल्स हैं वहां-वहां पानी भर कर शोथ हो जाती है। शोथ में Apis, Arsenic, Acetic Acid और Apocynum सबसे अच्छा काम करता है
कौन से लक्षण पर इसका प्रयोग करना है इसे समझते हैं – Apis के शोथ में प्यास बिल्कुल नहीं रहतीं, Arsenic में रोगी बार-बार, थोड़ा-थोड़ा पानी पीता है, और पानी की उल्टी हो जाती है। यह Apis में नहीं हैं।
Apocynum में Arsenic की तरह पानी और खाना उल्टी हो जाता है, परन्तु उसमें Arsenic की बेचैनी और बार-बार प्यास अधिक होती है।
Acetic Acid में शोथ के साथ प्यास रहती है, परन्तु Arsenic जैसी बार-बार की प्यास नहीं, साथ ही शोथ में दस्त और आंव की शिकायत रहती है। इस तुलना को इस प्रकार प्रकट किया जा सकता है।
Apis – प्यास नहीं, उल्टी नहीं, ठंडक से आराम, गर्मी से रोग बढ़ता है। Arsenic – बार-बार प्यास, पानी उल्टी हो जाता है, बेचैनी होती है, गर्म सेंक से आराम मिलता है।
Acetic Acid – प्यास रहेगा पर साधारण, दस्त और आंव की शिकायत रहती है। Apocynum – प्यास बहुत, पानी और खाने का उल्टी हो जाता है।
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मस्तिष्क की सूजन का होम्योपैथिक दवा
Aconite 30 – सूर्य की गर्मी या मानसिक उद्वेग से उत्तेजित हो जाने पर अगर मस्तिष्क में रुधिर संचित हो जाय (Cerebral congestion) और मस्तिष्क में शोथ (Inflammation) हो जाय, तो रोगी शोर और रोशनी को बर्दाश्त नहीं करता। इस प्रकार की मस्तिष्क- शोध की शुरुआत में यह दवा देना है।
Belladonna 30 – मस्तिष्क में रक्त संचय तथा उसके उत्तेजित होने पर अगर सिर गर्म और पाँव ठंडे हो जायें, गले के दोनों ओर की नसें धक-धक करें, सिर दर्द हो, तो इस दवा का प्रयोग करो। इसमें सिर को पीछे की तरफ झुकाने से कष्ट घटता है ( ग्लोनॉयन से उल्टा ) । सिर को ढकने से कष्ट बढ़ता है ।
Glonoine 30 – रोगी को ऐसा प्रतीत हो कि सिर बढ़ गया है, सिर में ख़ून भर गया है, पीछे झुकने से कष्ट बढ़े और हरकत तथा सिर को नंगा रखने से कष्ट घटे, तो इस दवा से लाभ होगा । प्रायः सनस्ट्रोक में इस दवा का उपयोग होता है । बेलाडोना में सिर को पीछे करने से कष्ट घटता है, इसमें सिर को पीछे करने से कष्ट बढ़ता है। इसमें भी सिर को ढकने से कष्ट बढ़ता है।
Hyoscyamus 30 – मस्तिष्क का शोथ, सिर को आगे झुकाने से कष्ट घटता है ( बेलाडोना से उल्टा ); सिर को हरकत देने से भी कष्ट घटता है, बेलाडोना में हरकत से कष्ट बढ़ता है ।
धमनी व शिराओं की सूजन का होम्योपैथिक दवा
Calcarea Carb 30 – ‘ धमनी’ (Artery) की सूजन में यह उपयोगी है।
Hamamelis Q – ‘शिराओं’ (Veins) की सूजन (Phlebitis) में साधारण सूजन हो, हाल ही की सूजन हो, शिरायें कठोर पड़ जायें, उनमें गाँठें पड़ जायें, दर्द हो, तब यह दो ।
Pulsatilla 30 – प्रसव के बाद शिरायें फूल जाती हैं, सूज जाती हैं, त्वचा नीली पड़ जाती है, शिराओं में दुखन होती है, चुभन होती है । तब यह दवा दी जा सकती है ।
Hippozaenium 30 – यह एक नोसोड है। नाक के फोड़े ( Ozena), रुधिर में पस के बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाना (Pyemia), नाक की झिल्ली का शोथ (Rhinitis) आदि में लाभ करता है । अगर शिरा में कहीं पस का लक्षण प्रकट हो, तब इस दवा को ध्यान में रखना होगा ।
हड्डी की सूजन का होम्योपैथिक दवा
Silicea 30 – दोनों भौंओं के बीच में माथे के हड्डी की सूजन (Swelling of the glabella) हो तब लाभदायक है, यह दवा हड्डियों के सड़ने- Diseases of bones, caries and necrosis – में उपयोगी है ।
Manganum aceticum 30 – हड्डियों तथा जोड़ों की सूजन, रात को उनमें ऐसा दर्द जैसे कोई हड्डियों को भीतर से खोद रहा हो – Digging Pains. छूने से सारे शरीर में दुखन ( Soreness) होती है । रोगी को खली हवा पसन्द है ।
Ruta 30 – इस दवा का प्रभाव ‘अस्थि- परिवेष्टन’ (Pe- riosteum) तथा ‘उपास्थियों’ (Cartilages) पर है । इन अस्थियों पर चोट लगने से सूजन हो जाती है, सूजन से ऐसा दर्द होता है जैसे रगड़ लग गई (Bruised ) हो । जहाँ-जहाँ अस्थि परिवेष्टन है वहाँ वहाँ रगड़ लगने या बोझ, दबाव पड़ने से दुखता हो, तो यह दवा दी जानी चाहिये । इसी कारण आँख की चोट में भी यह दी जाती है, क्योंकि पलकों में उपास्थि होती है, नाक में उपास्थि है, अस्थि-परिवेष्टन तो हर अस्थि तथा उपास्थि पर होता है।
Symphytum 200 – हड्डी टूटने या उस पर चोट लगने पर शोथ हो जाय, तब दो हड्डियों के जोड़ने में इस दवा की विशेष ख्याति है । अंग छेद करने (Amputation) पर यदि दर्द बना रहे, तब भी अत्यन्त उपयोगी है । जब व्यक्ति के गिरने से हड्डी टूट जाय, तब इसका उपयोग होता है।
Hekla Lava 3x – इसका जबड़ों पर विशेष प्रभाव है। जबड़ा या शरीर की कोई भी हड्डी सामान्य से बहुत अधिक बढ़ जाय, हड्डी पर मोटी-मोटी, कठोर गाँठें (Nosodities) बन जायें, तब दो ।
आँख की सूजन का होम्योपैथिक दवा
आँख का गोलक तीन पर्दों में लिपटा हुआ है। बाहर का लपेट पहला लपेट है जो सफ़ेद है, मोटा है, दृढ़ है, जिस से आँख की गोल शक्ल बनती है । इसे ‘शुभ्र-पटल’ (Sclera) कहते हैं । इसके बाद दूसरा पर्दा है जो काला है। इसे ‘कृष्ण-पटल’ (Choroid) कहते हैं। इस दूसरे पर्दे के बाद तीसरा पर्दा है, जिसे ‘चित्र-पटल’ (Retina) कहते हैं। इसी पर बाहर की वस्तु का चित्र खिंच कर दिमाग़ में पहुँचता है । कृष्ण-पटल की सूजन से आँख से गोलक में दर्द होता है। आँख के इस दर्द की निम्न औषधियाँ हैं—
Aurum Met 30 – आँख में ऊपर से नीचे की तरफ दबाव होने के साथ दर्द, या आँख के अन्दर से बाहर की तरफ जाने वाला दर्द । आँख के गोलक की हड्डियों के चारों तरफ दर्द। यह दर्द स्पर्श से तथा प्रकाश से बढ़ जाता है, ये दोनों सहन नहीं होते ।
Merc Cor 30 – आँख के चारों तरफ़ उम्र वेदना, सख्त दर्द । इस दर्द में कृष्ण-पटल का शोथ (Choroiditis) होने के साथ आँख के उपतारा (Iris) में भी दर्द होता है ।
Phosphorus 30 – आँख की भीतरी सूजन के साथ अगर रोगी को प्रकाश सहन न हो और बाह्य-पदार्थ भिन्न-भिन्न शक्लों और भिन्न-भिन्न रंगों के दिखने लगें, रंगों में भी लाल रंग की प्रधानता हो, आँख के सामने काले मच्छर से उड़ते दीखें, तब इस दवा का प्रयोग हितकर रहता है !
Prunus Spinosa 30 – आँख के दाहिने गोलक में ऐसा दर्द मानो आँख फूट जायेगी, आँख का यह दर्द बिजली की तरह दिमाग़ से गुज़र कर सिर की गुद्दी की तरफ जाता है। इसी प्रकार बायीं आँख में एकाएक दर्द उठता है मानो आँख फूट जायेगी। आँसू निकलने से आराम मिलता है। जिस आँख में दर्द होता है, उसी तरफ की कनपटी में भी दर्द जा पहुँचता है ।
Phytolacca 30 – ऐसा लगता है मानो आँख में रेत का कण रड़क रहा हो। आँख का फ़िश्चुला जिसमें से पानी लगातार निकलता रहता है। आँख के पपोटे बड़े कड़े, सख्त हो जाते हैं, सूज जाते हैं, भीतर पस भर जाता है ।
Hepar Sulphur 200 – जब कृष्ट-पटल (Choroid) में पस बन जाए जैसे फोड़े के पक जाने पर बन जाती है, आँख को छुआ न जा सके—Sensitive to touch – आँख में सख्त दर्द हो, तपकन हो, और गर्म सेक से आराम मिले, तब दो ।
Tuberculinum 200 – अगर उक्त औषधियों से लाभ न हो, तो सप्ताह – दो सप्ताह में एक बार इस दवा को अन्य औषधियों के बीच में ‘ अन्तर्वाही’–’ आभ्यन्तर’ (Intercurrent) के तौर पर दो। इसे भी लगातार नहीं देते जाना । महीना- दो महीना देकर बन्द कर दो।
गुदा- प्रदेश की सूजन का होम्योपैथिक दवा
Ignatia 200 – पाखाने के बाद गुदा (Anus) में दर्दयुक्त-संकोचन (Painful constriction), गुदा में अन्दर तक खुजली, सूई लगने जैसी चुभन, काँच निकल आना। हमने यहाँ ‘एनस’ (Anus) के लिये ‘गुदा-प्रान्त’ (गुदा का बाहर का हिस्सा) तथा ‘रैक्टम’ (Rec- tum) के लिये ‘गुदा-प्रान्त’ (गुदा-प्रान्त से लेकर ऊपर तक का हिस्सा) शब्दों का प्रयोग किया है। इस दवा में दर्दयुक्त-संकोचन ‘गुदा-प्रान्त’ (Anus) में होता है, और सुई जैसी चुभन गुदा- प्रान्त से लेकर अन्दर ‘गुदा- प्रदेश’ तक होती है ।
Capsicum 30 – जलन के साथ मरोड़, रक्तमिश्रत आँव, पाखाने के बाद कमर में दर्द, पाखाने के बाद प्यास लगती है साथ जिस्म में ठिठरन महसूस होती है, इस दवा में खुनी बवासीर भी पायी जाती है, गुदा-प्रान्त में दुखन होती है, टट्टी करते समय डंक चुभने- सा दर्द होता है ।
Phosphorus 30 – गुदा- प्रदेश में भाला चुभने की सी जलन- मिश्रित पीड़ा होती है, क्योंकि मल बड़ी कठिनता से बाहर निकलता है मल लम्बा, पत्ला, कठोर होता है-ऐसा जैसे कुत्ते का मल होता है। पाखाना होते हुए गुदा- प्रदेश से रुधिर वह निकलता है।
Aloe 30 – बवासीर के मसे गुदा में से ऐसे बाहर दीखते हैं जैसे अंगूर के गुच्छे हों, बहुत दुखनशील (Sore) तथा छुए नहीं जा सकते। गुदा-प्रान्त (Anus) तथा गुदा- प्रदेश ( Rectum) में जलन होती है। ठंडे जल का प्रयोग करने से रोगी को आराम पड़ता है। गुदा प्रदेश की हाल की सूजन के कष्ट में इस से लाभ होता है
Podophyllum 30 – इस दवा में कब्ज़ तथा दस्त पर्यायक्रम से आते-जाते रहते हैं ( ऐन्टिम क्रूड ) । टट्टी आने से पहले काँच निकल आती है, या टट्टी आने के बाद निकल आती है ।
Colchicum 30 – दर्द के साथ जैली जैसी थोड़ी-थोड़ी आँव आना। गुदा- प्रान्त (Anus) में ऐसा दर्द मानो उसमें नश्तर चला दिया गया हो । टट्टी में सफेद टुकड़े-से भरे पड़े होते हैं। ऐसा लगता है कि गुदा- प्रदेश (Rectum) में मल भरा पड़ा है, परन्तु निकलता नहीं ।
Nitric Acid 30 – गुदा की पुरानी – शोथ ( Chronic inflammation) में जब वहाँ ‘संकोचन’ (Stricture) की प्रवृत्ति हो जिससे गुदा फटने (Fissure) आदि की शिकायत हो जाय ।
रीढ़ की हड्डी में सूजन की होम्योपैथिक दवा
Arnica 30 – रीढ़ पर चोट लगने से उसमें सूजन या दर्द, ज़रा सा भी हिलने से दर्द बढ़ता है, छुआ नहीं जाता, खड़ा हुआ नहीं जाता, चला नहीं जाता। इस प्रकार की चोट में हाइपेरिकम, ३ भी दिया जा सकता है।
Bryonia 30 – रीढ़ में सुई चुभने का – सा, काटता – सा दर्द जो हिलने-जुलने से बढ़े। हरकत से दर्द का बढ़ना इस दवा की प्रकृति है । रीढ़ की पेशियाँ ( Muscles ) सुन्न पड़ जाती हैं, अकड़ जाती हैं ।