यह भी एक प्रकार की चेचक ही है किन्तु दोनों में अर्थात् बड़ी माता और छोटी माता में थोड़ा अन्तर है जो इस प्रकार है- बड़ी माता के दाने धीरे-धीरे करके लगभग एक साथ ही पूरे शरीर पर निकलते हैं जबकि छोटी हैं । बड़ी माता के दाने बड़े आकार के होते हैं जबकि छोटी माता के दाने छोटे आकार के । बड़ी माता के दाने चपटे होते हैं जबकि छोटी माता के दाने ऊपर की ओर उठे हुये नुकीले होते हैं। बड़ी माता के दाने कुछ दिनों बाद बीच में से फट जाते हैं और सूख जाने पर उनसे छिछड़े उतरते हैं जबकि छोटी माता के दाने न तो फटते हैं और न ही उनसे छिछड़े उतरते हैं, वे केवल यथास्थान सूख जाते हैं ।
यह रोग वास्तव में बड़ी माता का ही एक प्रकार है अतः इसके लक्षण और पथ्यापथ्य बड़ी माता के अनुसार ही हैं । बड़ी माता में बताई गई दवायें लक्षणों के अनुसार इस छोटी माता रोग में भी दी जा सकती हैं । अन्य कुछ दवायें यहाँ बता रहे हैं ।
रसटॉक्स 3, 30- यह इस रोग की अति उत्तम और सबसे प्रमुख दवा है । इस दवा की रोग की किसी भी अवस्था में दिया जा सकता है । अत्यधिक खुजली होने पर यह दवा विशेष लाभप्रद है ।
एण्टिम टार्ट 6– यदि रसटॉक्स से लाभ न हो तो यह दवा दें ।