Homeopathic Medicine For Ulcerative Colitis: इस लेख में हम देखेंगे कि अल्सरेटिव कोलाइटिस के केस को कैसे होमियोपैथी दवाओं से ठीक किया गया इसी के बारे में समझेंगे।
इस मामले में जो दिलचस्प था वह यह था कि इस महिला ने eruption के इलाज के लिए मुझसे संपर्क किया था। हालांकि, यह पता चला कि अन्य चीजें भी थीं जिन्हें देखने की आवश्यकता थी।
वह पिछले 7 वर्षों से eruption होने की शिकायत कर रही थी। यह केवल उसकी पीठ के ऊपरी भाग पर होता था। लाल फुंसी आते थे और खुजली होती थी, खुजलाने के बाद बेहतर महसूस होता था।
जब मैंने उनसे पूछा कि eruption से पहले क्या हुआ था, तो उन्होंने मुझे बताया कि अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज किया गया था और इसके लिए सैलोफॉक – मेसालजीन दवा ली थी। सैलोफॉक – मेसालजीन के ज्ञात दुष्प्रभावों में खुजली के साथ eruption पाया जाता है।
उस समय से, मैंने eruption में दिलचस्पी लेना बंद कर दिया क्योंकि यह उनका स्वाभाविक लक्षण नहीं था। हम कोलाइटिस को जड़ से ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं ताकि सैलोफॉक दवा लेने की आवश्यकता ही न पड़े।
मुझे पता चला कि उनके मल में खून के साथ कोलाइटिस शुरू हो गया था। खून चमकीला लाल था, उसमे थोड़ा सा बलगम भी था। जब से उसने सैलोफॉक लेना शुरू किया, उनका मल सामान्य हो गया था।
उन्हें धूप में रहना पसंद नहीं था और सूरज की गर्मी से eruption हुआ था। उन्हें सामान्य तौर पर गर्मी पसंद नहीं था।
उनकी नींद 3-4 बजे के बीच खुल जाती थी, कभी-कभी 2 बजे भी, जब वह उठती थी तो आमतौर पर अपने काम के बारे में सोचती थी और लगभग एक घंटे तक सो नहीं पाती थी। ऐसा पिछले 5 साल से हो रहा था।
वह मेहनती थी, आराम नहीं कर सकती थी और उसे लगातार कुछ करना पड़ता था। तनाव और बेचैनी शामिल था। उसे मांस से घृणा थी और मछली की गंध बर्दाश्त नहीं होता था। मछली की गंध न होने पर वह उसे खा सकती थी। उसे मिठाइयों का विशेष शौक नहीं था।
वह शराब बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। थोड़ी मात्रा पीने पर भी उसके सिर में दर्द होता था। सिरदर्द आमतौर पर दाहिनी आंख के ऊपर होता था और हिलने या झुकने से बढ़ जाता था। उसमे धड़कन महसूस होता था। उसे प्यास बिल्कुल नहीं लगती थी।
हालाँकि उसे गर्मी पसंद नहीं था, फिर भी उसके हाथ-पैर ठंडे रहते थे। वह अपने गले में तंग कपड़े बर्दाश्त नहीं करती थी, इससे उसे घुटन महसूस होते थे। उसका रक्तचाप कम था, लेकिन नाड़ी तेज थी। दोपहर की नींद के बाद उसकी तबीयत थोड़ी गिर जाती थी।
उसे आसानी से गुस्सा आ जाता था। अचानक गुस्सा हुई और शांत हो गई। गंदगी को लेकर घर की सफाई के बारे में उतावलापन था।
उसे शुरू से ही मकड़ियों, अंधेरे और संकीर्ण स्थानों का डर था। वह बहुत जिद्दी थी और अपने लक्ष्य का पालन करती थी।
होम्योपैथिक उपचार से हम केवल शरीर को बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और रक्षा तंत्र को मजबूत, अधिक प्रभावी बनाते हैं। इसके बाद यह खुद तय करता है कि पहले किसे ठीक करने की जरूरत है। प्रकृति के नियमों के अनुसार, यह हमेशा सबसे गहरी और सबसे गंभीर समस्या को पहले सुधार करती है।
सबसे पहले रोगी के विलक्षण लक्षण देखें तो :-
- सूर्य से eruption
- चिंता से नींद न आना, सुबह लगभग 3-4 बजे जागना
- मेहनती परन्तु बेचैन
- मिठाई से परहेज
- शराब से रोग बढ़ जाना, शराब पीने के बाद सिरदर्द
- धड़कता हुआ सिरदर्द, दाहिनी आंख के ऊपर जोकि झुकने या गति से बढ़ता है।
- गर्दन के चारों ओर तंग कपडे नहीं पहन सकना
- चिड़चिड़ापन और गुस्सा, अचानक आना और जाना
- हठी स्वाभाव
- देखने से मजबूत मांस-पेशी
तीव्र लक्षण देखें तो :-
- मल में चमकीला लाल खून और बलगम
- सूर्य और गर्मी से रोग वृद्धि, ठंडे हाथ-पैर
- मछली की गंध से घृणा, मांस से घृणा
- प्यास नहीं लगना
अब सबसे संभावित होम्योपैथिक दवाओं पर विचार करते हैं :-
Natrum muriaticum – गर्मी से रोग वृद्धि, सूर्य से eruptions और चिंताओं से नींद न आने के लिए मुख्य दवाओं में से एक है। यह दाहिनी ओर होने वाले सिर दर्द के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दवा है। इसमें मिठाई से घृणा हो सकती है। इस दवा से कोलाइटिस को ठीक किया जा चूका है। परन्तु इसका रोगी प्यासा होता है और इस दवा में मुख्य रूप से तीव्र प्यास होती है। इसलिए Natrum muriaticum रोगी की दवा नहीं है।
Apis mellifica में गर्मी से रोग बढ़ना और प्यास की कमी मुख्य नोट्स के रूप में लिया जा सकता है। मेहनती प्रकृति इस दवा का एक अन्य प्रमुख कारक है। एपिस बहुत चिड़चिड़े और बेचैन हो सकते हैं। रूब्रिक में सूर्य की गर्मी से SKIN – ERUPTIONS हो सकता है। हालांकि, मटेरिया मेडिका में इसकी पुष्टि नहीं मिलती है।
Pulsatilla में सूर्य की गर्मी से रोग वृद्धि, गर्मी से सिरदर्द और मुख्य रूप से प्यास की कमी है। इस दवा में मल में खून और बलगम की पुष्टि होती है। रोगी के दुसरे लक्षणों में इस दवा के लिए कोई अन्य मजबूत पुष्टि नहीं मिलती है।
Lachesis में सूर्य की गर्मी से सिरदर्द और गर्दन के चारों ओर तंग कपड़ों की असहिष्णुता मुख्य रूप में शामिल है। इसमें चिड़चिड़ापन और गुस्सा भी शामिल है। लैकेसिस के रोगी स्वभाव से तुनकमिज़ाज़ के होते हैं। यह दवा सूर्य से होने वाले सिरदर्द को कवर करता है और इसके सिरदर्द धड़कते चरित्र के होते हैं। हालांकि, यह एक लेफ्ट साइडेड दवा है और इसके सिरदर्द मुख्य रूप से लेफ्ट साइड होते हैं। शराब के बाद सिरदर्द होना पाया जा सकता है, लैकेसिस एक रक्तस्रावी दवा है, लेकिन इसका खून आमतौर पर गहरा होता है।
Belladonna सूर्य के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। सूर्य से होने वाले सिरदर्द की टॉप ग्रेड दवा है। बेलाडोना में मुख्य रूप से दाहिनी ओर धड़कते सिरदर्द हैं। वे दाहिनी आंख के ऊपर होते हैं और सिर के पीछे (या विपरीत दिशा) तक फैलते हैं।
बेलाडोना में आगे झुकने से सिरदर्द में वृद्धि भी अच्छी तरह से पुष्टि की गई है । गति से रोग बढ़ना इस दवा का एक मुख्य बिंदु है। शराब से होने वाले सिरदर्द के लिए दो मुख्य दवा हैं। उनमें से एक बेलाडोना है और दूसरा glonoinum है ।
बेलाडोना में प्यास की कमी है। रोगी के ठंडे हाथ-पैर हैं जो बेलाडोना में पाया जाता है। यह दवा गले में तंग कपड़ों और मल में खून और बलगम के प्रति असहिष्णुता को भी कवर करता है।
बेलाडोना रोगी चिड़चिड़ा हो सकता है और इस दवा में अचानक गुस्सा होना और शांत हो जाना भी पाया जाता है। इसके अतिरिक्त बेलाडोना का रोगी मजबूत मांसल वाला होता है।
बेलाडोना का रोगी बेचैन, मेहनती (क्योंकि यह ऊर्जा से भरपूर है) और जिद्दी भी हो सकती है। नाड़ी का तेज चलना भी बेलाडोना के लिए विशिष्ट है ।
बेलाडोना के रूब्रिक में नींद – विचार – व्यवसाय, और विचारों की गतिविधि से नींद में कमी पाया जाता है।
Mercurius solubilis एक दवा है जिसे अल्सरेटिव कोलाइटिस के बीमारी के हर मामले में सोचना चाहिए क्योंकि यह ऐसी बीमारियों के स्थानीय लक्षणों को बहुत अच्छी तरह से कवर करता है। Mercurius solubilis को मुख्य रूप में मिठाइयों से घृणा है। इसमें चिड़चिड़ापन भी शामिल है। हालाँकि, रोगी के दुसरे लक्षणों का इस दवा में मिलान नहीं पाया जाता है।
अल्सरेटिव कोलाइटिस के लिए Colchicum एक बहुत ही महत्वपूर्ण दवा है। मछली की गंध से घृणा इसकी सबसे बड़ी कुंजी है। इसका रोगी चिड़चिड़ा भी है। हालांकि ठंड के कारण इसके सारे रोग बढ़ते हैं, जबकि हमारा रोगी ग्रीष्म प्रकृति का है।
दवा का चयन:
विवरण को देखने से यह स्पष्ट है कि बेलाडोना में अधिकांश मुख्य बातें शामिल हैं, मानसिक और शारीरिक लक्षण भी शामिल हैं।
इस मामले में अन्य दवा इतने सारे मुख्य बिंदुओं को कवर नहीं करता है, जबकि बेलाडोना रोगी के शारीरिक गठन को भी कवर करता है।
प्रिस्क्रिप्शन: बेलाडोना 30 दिन में 3 बार लेने की सलाह दी।
फॉलो-अप
दवा लेने के बाद रोगी को दो दिन से हल्का दस्त था। तीसरे दिन, उसे बुखार हुआ, उन्हें ऐसा बुखार कई सालों से नहीं था। शरीर में दर्द, खांसी और गले में खराश भी थी। परन्तु पांच दिनों में यह समस्या अपने आप कम हो गया।10 दिनों के बाद उसके पास थोड़ी अधिक ऊर्जा थी। उसकी नींद में सुधार हुआ। अपने कोलाइटिस के बारे में, उसने कहा कि अभी कुछ खास महसूस नहीं हो रहा।
दवा लेने के 2 महीने बाद
रोगी अब सैलोफॉक नहीं ले रहा था और उसे कोलाइटिस संबंधी किसी भी शिकायत का अनुभव नहीं हो रहा था। उसका मल पूरी तरह से सामान्य था और उसे दिन में एक बार मल त्याग होता था। पीठ पर eruption भी धीरे-धीरे गायब हो गए थे। अब वह गहरी नींद सोती है और बहुत कम जागती है। 3 या 4 बजे जागना हर तीन सप्ताह में केवल एक बार होता है। उसके हाथ-पैर अभी भी ठंडे हैं, लेकिन अब वह इससे परेशान नहीं है। वह शांत महसूस करती है और कम गुस्सा करती है।