काफिया 200 – अत्यधिक प्रसन्नता (हर्ष) के कारण आँखों से आँसू बह उठने के लक्षण में हितकर है ।
मेडोराइनम 1M – बिना रोये बात ही न कर पाना, अंधेरे मार्ग पर चलते हुए किसी के द्वारा पीछा किया जाने का भय, अत्यधिक मलान-चित्तता के कारण आत्मघात के विचार का उदय, बात करते-करते बात का सिलसिला भूल जाना एवं अन्य कारणों से आँखों में ऑसू आ जाना-ऐसे लक्षणों में यह औषध लाभ करती है । इस प्रकार के लक्षण दबे हुए सूजाक के कारण भी प्रकट होते हैं।
स्ट्रेमोनियम 30 – पागलपन की हालत में जोर-जोर से चिल्ला-चिल्लाकर रोने के लक्षण में हितकर है ।
मास्कस 3 – पर्यायक्रम से रोना और हँसना – इस प्रकार के लक्षण हिस्टीरिया रोग में प्रकट होते हैं । यह हिस्टीरिया की मुख्य औषध है ।
पल्सेटिला 30 – किसी अच्छी या बुरी घटना पर तुरन्त रो पड़ना, अपनी बीमारी की बात कहते समय आँखों में आंसू बहने लगना, किसी के टोक दिय जाने परं भी आँसू गिरने लगना, इन लक्षणों वाली रुग्णा स्त्री के लिए यह औषध लाभ करती है । इस औषध की रोगिणी सहानुभूति पाकर शान्ति का अनुभव करती है ।
नेट्रम-म्यूर 30 – यह भी स्त्रियों की बीमारी में लाभकर है। एकान्त मिलने पर जी भरकर रोने की इच्छा, छोटी-छोटी बातों पर भभक उठना, रोने-धोने तथा गुस्सा करने का मूल कारण किसी घरेलू कष्ट का होना, प्रेम में निराशा, प्रेमी का वियोग अथवा घर में किसी की मृत्यु हो जाने के कारण रोते रहना-इन लक्षणों में हितकर है। इस औषध की रोगिणी किसी की सहानुभूति को पसन्द नहीं करती । आँखों में आँसू तथा होठों पर हँसी का होना-यह भी इस औषध का एक विचित्र लक्षण है ।
सीपिया 200 – अपने रोग के विषय में कहते-कहते रो पड़ना, अत्यधिक शोकातुरता तथा अपनी सन्तानों एवं पति के प्रति भी उदासीनता का भाव, इन लक्षणों के साथ किसी जरायु सम्बन्धी रोग का रहना, अकेले रहने पर भय तथा परेशानी का अनुभव होना-इन लक्षणों वाली स्त्री रोगिणी के लिए यह औषध लाभकर है।
इग्नेशिया 200 – आहें भरना, सिसकी भरना, चुपचाप बैठी रहना, किसी से बात न करना, चिन्ता-मग्नता, आँखों में आँसू तथा हृदय में दु:ख, समय-समय पर मूड का बदलते रहना तथा इस रोग के मूल में किसी दु:ख अथवा चिन्ता का होना – इन लक्षणों वाली स्त्रियों के लिए यह औषध लाभकर है ।