कभी-कभी शल्य-चिकित्सक टॉन्सिलों को काट कर निकाल देते हैं, उसके फलस्वरूप अनेक प्रकार के उपसर्ग प्रकट हो सकते हैं । उन उपसर्गों की चिकित्सा नीचे लिखे अनुसार करनी चाहिए :-
सल्फर 200 – टॉन्सिल निकाल देने के बाद यदि छाती में जलन, दिन में भूख न लगना, परन्तु शाम को खूब भूख लगना, खुजली मचना तथा मीठा खाने की प्रबल इच्छा-ये लक्षण दिखायी दें तथा ऋतु-परिवर्तन के साथ लक्षणों में वृद्धि भी होती हो तो इस औषध का प्रयोग करना चाहिए ।
स्ट्रेप्टोकोक्कीन 1M – टॉन्सिलों को निकाल देने के बाद यदि बालक का शरीर नीला पड़ गया हो, वह दुबला पतला हो गया हो, आँखों के नीचे कालिमा छा गयी हो, उत्साह-हीनता आ गयी हो तथा भूख मारी गयी हो तो इस औषध को महीने में 1 मात्रा के हिसाब से कई दिनों तक देते रहना चाहिए ।
कैल्केरिया-कार्ब 200 – यदि टॉन्सिलों के निकाल देने के बाद ब्रोंकाइटिस की शिकायत हो तथा नाक के पिछले भाग पर शोथ बना रहता हो तो इस औषध को सप्ताह में एक मात्रा के हिसाब से कुछ महीनों तक देकर देखना चाहिए।