स्वाइन फ्लू एक खतरनाक बीमारी है जो बहुत ज्यादा फैल रहा है। इस पोस्ट में हम बताएँगे स्वाइन फ्लू क्या होता है, क्यों होता है, हम कैसे इससे बचेंगे और स्वाइन फ्लू के होम्योपैथिक इलाज के बारे में।
स्वाइन फ्लू – स्वाइन का अर्थ होता है सूअर, और फ्लू का अर्थ है इंफ्लुएंजा। ऐसी सर्दी खांसी जो सूअर से फैले इंसानों में और उन्ही इंसानो से फैले दुसरे इंसानो को हो रही है। स्वाइन फ्लू बीमारी स्वाइन फ्लू वाइरस के फैलने के कारण होती है। स्वाइन फ्लू वाइरस काफी प्रकार की होती हैं, जैसे आपने सुना होगा H1N2, H1N1 या H2N1 ऐसी ही काफी प्रकार की वाइरस हैं, परन्तु स्वाइन फ्लू के केस में H1N1 वाइरस ही ज्यादा देखा ज्यादा है जो की इंसानो में फैलते हैं। अब समझते हैं की स्वाइन फ्लू फैलता कैसे हैं ?
सबसे पहले स्वाइन फ्लू सन 2000 में सूअर में पाया गया था। इंसानो में सबसे पहले 2009 में स्वाइन फ्लू का केस पाया गया जो की सर्दी-खांसी और वायरल का केस था परन्तु उसमे रोगी की मृत्यु हो गई थी, डॉक्टर ने जब चेक किया तो उसमे H1N1 वाइरस पाया गया जो की एक स्वाइन फ्लू वाइरस था। उसके बाद ये बीमारी विश्व भर में बहुत तेजी से फैली, इस बीमारी में मृत्यु होने की संभावना होती है इसलिए यह एक खतरनाक बीमारी में शामिल है। आइये जानते हैं की ये सूअर से इंसानो में कैसे फैलता है।
इंडिया में तो नहीं परन्तु इंडिया से बाहर कई देशों में मीट के लिए सूअर पाले जाते हैं, और अगर उन सूअर को स्वाइन फ्लू हो जाता है तो उनकी देख-रेख करने वाले इंसानो को ये वाइरस आसानी से लग जाती है। जब वाइरस से इन्फेक्टेड इंसान दुसरे इंसान से बात करते हैं तो उनके सांस या थूक से दुसरे इंसानो में स्वाइन फ्लू के वाइरस लग जाया करती है। ये बहुत तेजी से फैलने वाली बीमारी है, ऐसा देखा गया है की अगर एक इंसान में भी स्वाइन फ्लू के वाइरस हैं और वो 100 लोगों के साथ भी एक कमरे बैठा हैं तो उन 100 लोगों को भी ये बीमारी लग सकती है।
आइये अब समझते हैं स्वाइन फ्लू के संकेत और लक्षण के बारे में कि हमें किन लक्षणो से पता लगेगा की हमारे अंदर स्वाइन फ्लू के वाइरस हैं।
स्वाइन फ्लू में normally सर्दी-खांसी और बुखार के ही लक्षण दिखाई पड़ते हैं, सबसे पहले हमारा गला खड़खड़ाने लगता है, नाक बहने लगती हैं और छींकें आने लगती है। उसके बाद बुखार तेज़ी से चढ़ने लगता है, फिर सिर में और पूरे बदन में तेज दर्द होना शुरू हो जाता है। आँखों से पानी भी आने लगती है और खांसी के दौरे पड़ने लग जाते हैं। बुखार के साथ शरीर में कंपकंपी भी होने लगती है, इसमें बहुत कमजोरी महसूस होती है, वजन तेजी से गिरने लगता है। पेट दर्द शुरू हो जाता है, दस्त होने लगते हैं और उल्टियां भी होनी शुरू हो जाती हैं। सांस लेने में भी थोड़ी परेशानी होना शुरू हो जाता है। अगर ये सारे लक्षण कुछ दिनों तक मौजूद रहें तो आप डॉक्टर के पास जाकर H1N1 वाइरस की जांच जरूर करवा लें।
आइये अब जानते हैं की स्वाइन फ्लू से हम अपना बचाव कैसे करें ?
एक disposable mask आती है जो की स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए बहुत उपयोगी है। अगर ये मास्क आप यूज़ करेंगे तो आपको स्वाइन फ्लू होने की प्रतिशत न के बराबर होगी। किसी भी मेडिकल स्टोर में ये आसानी से मिल जाएगी। इस मास्क की कीमत 5 रूपए है, हर दिन एक मास्क उपयोग करके उसे फेंक दें। मास्क का उपयोग करें और अपने हाथों को कन्ट्रोल करके रखें, अगर आपको वाइरल फीवर है तो आप अपने हाथ को मुँह में, नाक में, आँखों में न लगाएं और किसी दुसरे से हाथ भी न मिलाएं। सबसे जरूर है मास्क पहने, अगर आप बड़े शहर में हैं और वहां स्वाइन फ्लू फैली है तो आप मास्क जरूर पहने।
आइये अब स्वाइन फ्लू के होम्योपैथिक मेडिसिन के बारे में जानेंगे।
स्वाइन फ्लू के बचाव के लिए Influenzinum 200 बहुत ही उपयोगी मेडिसिन है। यह मेडिसिन इन्फ्लुएंजा से बनने वाला नोसोड है। जब भी स्वाइन फ्लू फैलने की खबर मिले तो इस मेडिसिन का उपयोग जरूर करें ये आपको इन्फ्लुएंजा से बचाये रखेगा।
Influenzinum 200 कैसे लेनी है – अगर बच्चे को दें तो सिर्फ एक बून्द उनके मुँह में सुबह-सुबह डालें। ये 3 दिनों तक लगातार दें, तीन दिन के बाद हफ्ते में एक बार तब तक दें जब तक स्वाइन फ्लू का खतरा टल न जाये। बड़ों के लिए दो बून्द का उपयोग उसी प्रकार से करें, मतलब सुबह में 3 दिनों तक लगातार लें फिर हफ्ते में एक बार बार लें। ये बहुत ही effective मेडिसिन है।
स्वाइन फ्लू के बचाव के लिए दूसरी दवा है Dr reckeweg का R88, यह ‘anti viral drop‘ है, ये जर्मनी का बहुत effective मेडिसिन है।
R88 कैसे लेनी है – एक चम्मच पानी में R88 के तीन बून्द डाल कर बच्चो को पिला देना है। ये काम आपको दिन में तीन बार करना है, मतलब सुबह, दोपहर और शाम। तीन दिनों तक लगातार ऐसा करें फिर हफ्ते में एक बार सुबह और शाम दो टाइम बच्चो को दिया करें। बड़ों के लिए 10 बून्द चौथाई कप पानी में डाल कर दिन में तीन बार सुबह, दोपहर और शाम में लगातार तीन दिनों तक लेनी है फिर हफ्ते में एक दिन दो बार सुबह और शाम लेनी है। इसे अच्छे से पढ़ कर समझ लें, अगर समझ न आये तो कमेंट और ईमेल से फिर पूछ लें जवाब जरूर दिया जायेगा।
ध्यान रखें ये दोनों मेडिसिन स्वाइन फ्लू से बचने के लिए है, तो जैसा बताया गया कि Influenzinum 200 और R88 का उपयोग करके आप स्वाइन फ्लू से बच सकते हैं, और मास्क का उपयोग भी करें।
आइये अब जानते हैं कि अगर स्वाइन फ्लू हो गया है तो किस होम्योपैथिक मेडिसिन का उपयोग करें ।
Dr reckeweg का R88 स्वाइन फ्लू के लिए उत्तम दवा है, अगर आप बड़े हैं तो एक चौथाई कप पानी में 10 बून्द दवा डाल कर हर तीन घंटे में लें। अगर बच्चे को हुआ है तो एक चम्मच पानी में 3 बून्द R88 का डाल कर हर 3 घंटे के अंतराल पर दें। साथ में बड़ों को Influenzinum 200 दो बून्द सुबह-शाम और बच्चों को एक बून्द सुबह-शाम दीजिये।
इसके अलावा China mother tincture, Chirayata mother tincture, Baptisia mother tincture, Echinacea mother tincture को आप किसी भी होम्योपैथिक स्टोर में जाकर एक 30 ML के bottle में मिलवा लें। इस दवा की 20 बून्द आधे कप पानी में मिलाकर हर घंटे स्वाइन फ्लू के रोगी को पिलायें।
सर्दी, खांसी, बुखार के किसी भी तरह के वाइरल में Ferrocin syrup बहुत ही effective मेडिसिन है। ये स्वाइन फ्लू के लिए भी उत्तम दवा है।
Ferrocin syrup को कैसे लें – आपको एक ढक्कन दवा तीन से चार बार एक दिन में आधे कप गुनगुने पानी में लेना है।
इस पोस्ट में बताई गई सभी दवा स्वाइन फ्लू से बचाव और हो जाने पर उसके इलाज के लिए काफी उत्तम है। पोस्ट पढ़ कर कुछ आशंका लगे तो जरूर कांटेक्ट करें।