इस लेख में हम गर्भावस्था में होने वाली मुख्य परेशानियों और उसकी होम्योपैथिक दवा की चर्चा करेंगे।
गर्भावस्था स्त्रियों की एक ऐसी अवस्था है जिसमे उन्हें कई तरह की परेशानियों सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में थोड़ी सी असावधानी बड़ी समस्या पैदा कर देता है।
अब गर्भावस्था के कुछ मुख्य लक्षण और उसकी होम्योपैथिक दवा को समझते हैं –
Arnica montana 30 – गर्भावस्था में गिर जाने से या किसी दुसरे कारण से कमर या पेडू में चोट लग जाने से अगर रक्तस्राव होने लगे, गर्भपात होने सम्भावना लगे तो इस दवा के सेवन से बहुत लाभ होगा। कभी-कभी बच्चे के पैदा होने के बाद बच्चेदानी के सड़ने से मवाद आने लगती है और बदबू भी आती है। इस कारण से बुखार भी होने लगता है। इन लक्षण में आप Arnica montana 30 पोटेंसी की 2 बून्द डायरेक्ट जीभ पर दिन में 2 बार कुछ दिन लें बहुत लाभ मिलेगा।
Sabina 30 – गर्भ ठहरने के तीसरे या चौथे महीने में गर्भपात हो जाता हो, उसके बाद बहुत मात्रा में चमकीला और लाल रंग का रक्तस्राव होता हो, कभी-कभी थक्के समान रक्तस्राव होना साथ में कमर, पेडू और पेट में बहुत दर्द हो तो ऐसे लक्षण में Sabina 30 पोटेंसी की 2 बून्द डायरेक्ट जीभ पर दिन में 2 बार कुछ दिन लें, गर्भपात की संभावना ख़त्म हो जाती है।
Sepia 30 – अगर गर्भ के पांचवे से सातवें महीने में किसी महिला को गर्भपात हो जाता हो और बच्चादानी बाहर निकल आती हो, साथ ही बहुत कमजोरी आ जाती हो तो Sepia 30 पोटेंसी की 2 बून्द डायरेक्ट जीभ पर दिन में 2 बार कुछ दिन लें, गर्भपात की संभावना ख़त्म हो जाती है।
Cocculus indicus 30 – गर्भावस्था के आरम्भ में जब मॉर्निंग सिकनेस हो, उल्टी, मितली आने की बार-बार इच्छा होती है या हो जाया करती हो, साथ में खाने-पीने की गंध से भी उल्टी करने की इच्छा हो जाती हो तो Cocculus indicus 30 पोटेंसी की 2 बून्द डायरेक्ट जीभ पर दिन में 2 बार कुछ दिन लें बहुत लाभ मिलेगा।
Gelsemium 30 – बहुत देर तक labour pain होने के बाद भी बच्चेदानी का मुँह नहीं खुल रहा हो, देरी हो रही हो, दर्द नीचे की तरह न होकर ऊपर की तरह हो रही हो और बच्चेदानी में सूजन हो, सिकुड़ने की शक्ति नहीं हो और इसी कारण बच्चे की थैली बाहर की तरह नहीं खिसक रही हो, जरायु मुख पर रुकी हो तो Gelsemium 30 की 2 बून्द से लाभ हो जाता है।
Pulsatilla 30 – बच्चा पैदा होते समय दर्द रुक-रुक कर हो, कभी कम कभी ज्यादा हो, कभी दर्द बिलकुल न हो और इस कारण जरायु का मुँह नहीं खुल रहा हो और बच्चा आगे की तरह नहीं बढ़ रहा हो। कभी-कभी बच्चा पैदा होने के बाद बच्चे का नाल जल्दी बाहर नहीं निकलता और बहुत अधिक रक्तस्राव होता है तो ऐसे लक्षण में Pulsatilla 30 की 2 बून्द से लाभ हो जाता है।
Secale cor 30 – जब प्रसव के समय दर्द बहुत कम और धीरे-धीरे हो, कभी-कभी दर्द बिलकुल न हो, जरायु कोमल और थुलथुला बना रहे। दर्द कमर से शुरू होकर पेट में स्थायी हो जाता है और इस कारण प्रसव होने में देर लगता है। जबतक जरायु का मुँह खुल जाये और दर्द तेज न हो तबतक इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जैसे ही जरायु का मुँह खुल जाये और दर्द मालूम होने लगे इस दवा की एक खुराक दे देने पर बच्चा तुरंत पैदा हो जाता है और अधिक रक्तस्राव भी नहीं होता। Secale cor 30 की 2 बून्द जीभ पर दे देने से अनावश्यक परेशानी से बचाव हो जाता है।
Caulophyllum 30 – बार-बार गर्भपात uterus के कमजोरी कारण से हो जाये या गर्भपात की सम्भावना हो और uterus और पेडू में दर्द के साथ थोड़ा-थोड़ा ब्लड आता हो, uterus अपने स्वाभाविक आकार में नहीं आये, कभी-कभी जरायु पीछे की तरह घूम जाती है, कमजोरी कारण जरायु बाहर निकल जाये और दर्द हो तो Caulophyllum 30 के सेवन से लाभ मिल जाता है।
Bryonia 30 – इस दवा को हम milk fever के नाम से भी जानते हैं। बच्चा पैदा होने के बाद अक्सर स्तन में दर्द, सूजन और कड़ापन के साथ बुखार भी हो जाता है। रोगिणी हिलना डुलना नहीं चाहती। हिलने डुलने से तकलीफ बढ़ जाती है। ऐसे लक्षण में Bryonia 30 की 2 बून्द डायरेक्ट जीभ पर दिन 2 बार कुछ दिन लेने से बहुत लाभ मिलता है।
Aconite Nap 30 – किसी भी प्रकार से डर जाने के कारण गर्भपात होने सम्भावना हो, बच्चा पैदा होते समय रोगी बेचैन हो, साथ में मृत्यु जैसा भय हो, बार-बार पानी पीता हो, दर्द सहन नहीं कर पा रही हो तो ऐसे में Aconite Nap 30 की एक खुराक बहुत लाभ दे देता है।
बताया गया लक्षण मिलने पर आप निःसंकोच दवा का सेवन कर सकते हैं या सुयोग्य होमियोपैथी डॉक्टर से भी परामर्श ले सकते हैं।