हिन्दी नाम – तालमखाना है। इसका काँटा विषाक्त होता है। साधारणतः यह जुलपित्ती यह जुलपित्ती की तरह के चर्म-रोग में उपयोग होता है। गर्मी से उत्पत्ति और गर्मी से वृद्धि इसके विशेष लक्षण हैं। इसके उदभेद देखने में छोटी माता ( measles ) या घमौरी के दानों की तरह छोटे व लाल रंग के होते हैं और उसके चारों तरफ का चमड़ा भी लाल रंग का हुआ रहता है। कभी-कभी खुजलाने पर थोड़ा सा रस निकलता है। खून-शुदा आंव के साथ मलेरिया ज्वर में भी इससे फायदा होता है। इरिसिपेलस और लाल रंग के उदभेद व रक्तस्राव युक्त फुन्सियों इत्यादि में भी यह उपयोग होता है। रक्त-दूषित क्षत और कुष्ठरोग में भी इससे फायदा होना सम्भव है।
क्रम – 3x, 6x, 30 ।