[ ब्राजील में पैदा होने वाले एक प्रकार के लतानुमा पेड़ के सूखे पत्ते और डण्ठल से टिंचर तैयार होता है। ] – यह लार और पसीना निकालने वाली ग्रन्थियों पर क्रिया प्रकट करके उन ग्रंथियों में बहुत देर तक उपदाह पैदा करती है, जिससे लगातार लार बहा करती है और पसीना हुआ करता है। नाक से श्लेष्मा और आँखों से बड़े वेग से पानी गिरना। उक्त स्राव या बलगम निकलना बंद होने पर – मुंह और गला सूख जाना ; तेज प्यास लगना ; शरीर में रक्त की संचालन-क्रिया बढ़ जाना, किन्तु उत्ताप घटता जाना।
साधारणतः – निम्नलिखित बीमारियों में जैबोरैंडी खास तौर से फायदा करती है :-
किसी भी नई बीमारी के आरम्भ होने पर और कोई पुरानी बीमारी भोगने के समय – जैसे थाइसिस वगैरह बीमारियों में बहुत पसीना आना, प्रसूता के मुंह में पानी भर आना, फेफड़ा और फुस्फुस वेष्ट में जल इकठ्ठा होना, हृत्पिंड या मसाने की बीमारी की वजह से शोथ या डायबिटीज-इनसिपिडस ( बिना चीनी वाला बहुमूत्र रोग ), तलपेट और मूत्रनली में दर्द, बार-बार पेशाब का वेग और पेशाब का आपेक्षिक गुरुत्व ( specific gravity ) घटना, ऋतुस्राव बहुत थोड़ा होना या बंद होना, झोंक से होने वाले पतले दस्त, वमन, आँख की कई बीमारियाँ जैसे एस्थेनोपिया ( asthenopia of cataract ) इत्यादि।
अगर सिर के बाल झड़ रहे हैं तो जैबोरैंडी Q पोटेंसी में लेकर रात में सोने से पहले उसे सिर के बालों में अच्छी तरह लगाएं, नियमित ऐसा करने से बाल का झड़ना रुक जाता है और जो बाल पहले झड़ गए हैं वो पुनः आ जाए हैं। बालों में ये दवा बहुत अच्छा काम करती है।
जैबोरैंडी का दूसरा नाम है पाइलोकार्पस। इसकी उग्रवीर्य दवा – पाइलोकार्पिन 2x और 3 शक्ति – हैजा की पतनावस्था में बहुत पसीना निकलने की महौषधि है।
सदृश – बहुत पसीना निकलने पर – एमिल नाइ।
क्रम – Q से 6x शक्ति।