[ एक तरह के पके फल के बीज का मूल-अर्क। इसी बीज से क्रोटॉन तेल तैयार होता है। ] – यह दवा साधारणतः अतिसार और हैज़ा में अधिक उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा पाकस्थली की बीमारी में ऊपरी पेट का खिंचाव, मरोड़ और ऐंठन जैसा दर्द; हिचकी और हिचकी के बाद उल्टी होना, कुछ पीते ही कै और मिचली का बढ़ना, पेट और यकृत की जगह दर्द, दाहिनी कंधे में दर्द ; पेशी, पैर की पोटली, पैर और तलवों में ऐंठन, सारा शरीर ठण्डा हो जाना इत्यादि लक्षणों में इसका उपयोग किया जाता है।
अतिसार और हैजा में इसका उपयोग अवश्य करें, क्रोटॉन भी इसकी अच्छी दवा है।
सदृश – कैम्फर, वेरेट, गैम्बोज, क्रोटॉन।
क्रम – 3x से 30 शक्ति।