इस रोग को संग्रहणी के नाम से भी जाना जाता है। रोग के प्रारम्भ काल से बिना दर्द हुए दस्त आता है। दस्त हल्का, सफेद और फेनदार आता है – मानो खड़िया मिट्टी और पानी मिला हुआ हो। ज्यों-ज्यों रोग बढ़ता जाता है, त्यों-त्यों सायंकाल को और भोजनोपरान्त भी तुरन्त दस्त आने लगते हैं। परन्तु इससे रोगी को कोई कष्ट नहीं होता है। इसीलिए रोगी दस्तों की कोई परवाह नहीं करता है । इसके पश्चात् पेट फूलना भी प्रारम्भ में हो जाता है और दुर्गन्धित अपानवायु आने लगते हैं। बदहज्मी और मन्दाग्नि के अन्य दूसरे लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। नाड़ी निर्बल हो जाती है। जीभ बीच से मैली मालूम होती है। यदि इस दिशा में चिकित्सा न की जाये तो रोगी अत्यन्त निर्बल और पाण्डु वर्ण का हो जाता है । दस्त बढ़ जाते हैं। रोगी का मन भी निर्बल और चिड़चिड़ा हो जाता है। ज्वर रहने लगता है और अन्त में मरोड़ा हो जाता है और उचित चिकित्सा के अभाव में रोगी मर जाता है ।
खाना खाते ही शौच जाने का एलोपैथिक इलाज
इन्जेक्शन मार्फिन (Morphine) (निर्माता : एलेम्बिक) – 1/16 से 1/12 ग्रेन तक चर्म में लगायें । संग्रहणी में होने वाले तीव्र अतिसार को रोकने हेतु परम उपयोगी है।
कैपिलीन (Capelin) (ग्लैक्सो) – 1 सी.सी. मांस में इन्जेक्शन लगायें । यदि रक्त ग्रहणी हो, तो रक्त रोकने हेतु इसका प्रयोग अत्यन्त लाभप्रद रहता है ।
लिवर एक्सट्रेक्ट (पार्क डेविस) – 2 सी.सी. मांस में प्रतिदिन या 1 दिन बीच में छोड़कर इन्जेक्शन लगायें । यकृत तथा आन्त्र को शक्ति बढ़ाने हेतु अति उत्तम दवा है।
लीवर एक्सट्रेक्ट विद विटामिन (टी. सी. एफ.) – प्रयोग, मात्रा तथा लाभ उपर्युक्त इन्जेक्शन की ही भाँति है ।
निकोटिनिकि एसिड टैबलेट (बंगाल कैमीकल) – 1-2 गोली वयस्कों को दिन में 2-4 बार सेवन करायें ।
फोलिक एसिड टैबलेट (बी. डी. एच. कम्पनी) – 1-2 गोली वयस्कों को दिन में 2-4 बार सेवन करायें ।
बीकोजाइम फोर्ट टैबलेट (रोश कम्पनी) – 1 से 4 गोली दिन में 3-4 बार सेवन करायें ।
विटामिन बी काम्प्लेक्स कैप्सूल (ग्लैक्सो) – 1-2 या अधिक 2-3 बार भोजनोपरान्त दें ।
केम्पोफेशन कैपसूल (वेयर कम्पनी) – 1 से 3 कैपसूल रोगानुसार प्रतिदिन दें।
एसीडोल पेप्सिन (वायर कम्पनी) – 1 से 4 गोली प्रत्येक खाने के बाद दें ।
यूनिहेम 12 (यूनिक कम्पनी) – 1-2 गोली भोजनोपरान्त सेवन करायें ।
प्लास्टयूल्स विद फोलिक एसिड (जोइन वाइथ कम्पनी) – 1-2 कैपसूल दिन में तीन बार जल से ।
केम्पोफेरान सीरप (वेयर) – 1-2 चम्मच दिन में 2-3 बार पिलायें !
बीकोजाइम सीरप (रोश) – 1-2 चम्मच दिन में 2-3 बार पिलायें !
मोलुपान सीरप (सिपला) – 2-2 चम्मच प्रत्येक खाना खाने के बाद ।
रोगी को खट्टे फल, अरण्ड खरबूजा और जीरा तथा लवण या अष्ट लवण मिलाकर दुधारी हुई (बघारी हुई या छौंकी हुई) छाछ, देना चाहिए। यद्यपि थोड़ी-थोड़ी देर में थोड़ा दूध देने में भी कोई हानि नहीं है परन्तु केवल छाछ पर रहना अधिक हितकारी है । शरीर में बल और खून बढ़ने के बाद पौष्टिक खुराक प्रारम्भ करनी चाहिए ।
खाना खाते ही शौच जाने का आयुर्वेदिक इलाज
- मीठे आमों का रस 50 ग्राम में मीठा दही 10-20 ग्राम तथा अदरक का रस 1 चम्मच भर प्रतिदिन दिन में 2 बार कुछ दिनों तक रोगी को पिलाते रहने से पुराने दस्तों एवं संग्रहणी में लाभ होने लगता है ।
- इमली की छाल का चूर्ण 1 से 6 ग्राम तक 20 ग्राम ताजे दही में मिलाकर दिन में 2 बार (प्रात: व सायं) चटाने से बालकों की संग्रहणी में शीघ्र लाभ होता है।
- ईसबगोल 4 ग्राम को 40 ग्राम गरम जल में भिगो दें । शीतल हो जाने पर उसमें 10 ग्राम नारंगी या अनार का शर्बत मिलाकर रोगी को पिलाने से उसकी आँतों की भयंकर दाह और पीड़ायुक्त संग्रहणी में लाभ हो जाता है।
- पिप्पली, भांग तथा सोंठ के समभाग चूर्ण को शहद के साथ सेवन करते रहने से भयंकर संग्रहणी में भी लाभ हो जाता है।
- बेल के कच्चे फल को आग में सेंक कर गूदा निकालकर 10 ग्राम गूदे में थोड़ी शक्कर मिलाकर सेवन करते रहने से संग्रहणी में लाभ होता है ।
- तीन ग्राम आम के फूल का चूर्ण महीन पीसकर बासी जल के साथ सेवन करने से संग्रहणी में लाभ होता है ।
- भांग 2 ग्राम भूनकर 3 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से संग्रहणी मिटती है।
- नीम की मद (जो बहुत कम वृक्षों पर मिलती है) सुरक्षित रख लें । संग्रहणी के रोगी को सुबह-शाम 7-7 बूंद ताजी छाछ में मिलाकर सेवन कराते रहने से 20-21 दिन में शर्तिया ही लाभ हो जाता है।