खून की कमी का कारण – पौष्टिक भोजन का अभाव, अधिक समय तक रक्तस्राव या शुक्र-क्षय होना, मलेरिया हो जाना, आदि इसके प्रमुख कारण हैं।
खून की कमी का लक्षण – शरीर में लाल कणों की कमी होकर निर्बलता आ जाती हैं। इस रोग में शोथ होने का डर भी रहता हैं।
खून की कमी का इलाज घरेलू/आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों द्वारा
– पीपल का दूध रक्त-वर्धक और दर्द-निवारक होता है। इसके अलावा, पीपल कान के दर्द, गुर्दे का दर्द, उदर-शूल, क्षय-रोग आदि में भी समान रूप से उपयोगी है।
– लाल टमाटरों का रस पीते रहने से कमजोरी व थकावट दूर होती है। भूख खुलती है।
– 4 माशा गोंद व 4 माशा गेरू इनको पीसकर प्रात:काल फंकी देने से माहवारी में अधिक गिरता खून कम हो जाता है।
– दालचीनी और काला तिल समान मात्रा में लेकर पीस लें। इस चूर्ण को आधा कप दूध या पानी के साथ लेने से कमजोरी दूर होती है।
– दिन में तीन बार शहद का शर्बत बनाकर पीजिये, यह रक्त की कमी को पूरी करता है।
– पके हुए मीठे आठ दस आंडू दस-बारह दिन बराबर खाइये।
– दस-पन्द्रह काजू खूब चबाकर ऊपर से गर्म दूध पी लें।
– एक मुटठी फालसा रोज चूसने से रक्त की कमी नहीं रहती।
– आम को दूध में घोंट कर रोज पीने से रक्ताल्पता दूर होती है।
– थोड़ी मात्रा में रोज आलूबुखारा खाने से रक्त की कमी दूर होती है।
– पाँच-सात चीकू एक साथ खा जाइये। बेजान शरीर में जान आयेगी और कमजोरी दूर हो जायेगी।
– रक्ताभाव से पीड़ित रोगी के लिए पालक एक बेहतर औषधि है।
– गाजर, पालक, टमाटर के रस का मिश्रण रक्तहीनता के रोगियों के लिए गुणकारी है।
– तिल का प्रयोग करने से शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती है क्योंकि इसमें लौह तत्व पाया जाता है।
– यदि खून की कमी (एनीमिया) हो या रक्त कम बनता हो तो चुकंदर का रस एक कप की मात्रा में तीन बार लेना चाहिए।
– विटामिन और खून की कमी को दूर करने के लिये मरीज को गाजर खिलाने से लाभ मिलेगा।
– मूली के रस में समान मात्रा में अनार का रस मिलाकर पीने से रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ता है और रताल्पता का रोग दूर होता है।
– शरीर एकदम कमजोर पड़ गया हो और अाँखों के आगे अँधेरा छाने लगता हो तो समझ लीजिए कि शरीर में खून की कमी बढ़ रही हैं। ऐसे में आँवले के चूर्ण को तिल के चूर्ण में मिलाकर रख लें। अब एक चम्मच चूर्ण हर रोज शहद मिला कर चाटें। देखते-देखते महीने भर में हालत सुधर जायेगी।
– आधा कप प्याज का रस व इतना ही शहद मिलाकर चाटने से खून की कमी दूर होती है।
– अनार के रस को एनीमिया के रोगी को पिलाना फायदेमंद है।
– जामुन के रस में शहद, आँवले का रस या गुलाब के फूल का रस मिलाकर नित्य एक दो माह लेने से रक्त क्षति, सभी प्रकार की दुर्बलता दूर होती है और स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।
खून की कमी का बायोकैमिक/होमियोपैथिक इलाज
कल्केरिया-फॉस 12x – सभी प्रकार की रक्ताल्पता में यह औषधि लाभप्रद है। इसी कारण रक्त की स्वल्पता की यह सर्वप्रधान औषधि है। रक्त के लाल कण बढ़ने में यह अद्वितीय औषधि है।
फेरम-फॉस 12x – यदि रक्त के लाल कण यथेष्ट मात्रा में न बढ़ें तो इसका प्रयोग करना ठीक रहता है।
काली-फॉस 3x – अधिक मानसिक परिश्रम के कारण रक्त की कमी ।
नेट्रम-म्यूर 200 सप्ताह में एक बार व फेरम-मेट 30 रोजाना कुछ दिन तक लेते रहें।