मुख में दाँत केवल सुन्दरता के लिए ही नहीं, वरन् भोजन को चबाने के लिए भी आवश्यक होते हैं। हमारे मुँह में ऊपर और नीचे दोनों जबड़ों में जो चमकीली चीज दिखलायी देती है, उन्हें ही दाँत कहा जाता है, यह तो प्राय: सभी जानते हैं। जबड़ों की हड्डियों में गड्ढे होते हैं, जिनमें यह दाँत फँसे रहते हैं, दाँतों का कुछ भाग ऊपर को निकला रहता है। दाँत भी दो प्रकार के होते हैं :-
दाँतों के प्रकार (Kinds of Teeth)
(1) दूध के दाँत अथवा अस्थायी दाँत (Milk Teeth)
(2) स्थायी दाँत अथवा अन्न के दाँत (Permanent Teeth)।
(1) दूध के दाँत – यह दाँत नवजात शिशु के 6-7 माह की आयु में निकलने लगते हैं और ढाई वर्ष की आयु तक निकल आते हैं। इनकी संख्या कुल बीस होती है। किन्तु सब बच्चों में एक ही समय में दाँत नहीं निकलते हैं। प्रसिद्ध चिकित्सक ‘हाल्ट’ के मतानुसार – 1 वर्ष की आयु के शिशु के 6 दाँत, डेढ़ वर्ष की आयु के शिशु के 12 और 2 वर्ष के आयु के बच्चे के 16 तथा ढाई वर्ष की आयु के बालक के 20 दाँत निकलते हैं। ये दूध के दाँत 5-6 वर्ष की आयु में गिरने लग जाते हैं तथा इनके स्थान पर अन्न के दाँत अर्थात् स्थायी दाँत निकलने लगते हैं।
(2) अन्न के दाँत (स्थायी दाँत) – अन्न के दाँतों की संख्या 32 होती है। ये 16 ऊपर तथा 16 नीचे होते हैं – 5-6 वर्ष की आयु के बाद के बच्चों के दूध के दाँतों के स्थान पर ये नये अन्न के दाँत आने लगते हैं और 14 वर्ष की आयु तक ‘प्रज्ञादन्त’ (Wisdom Teeth) को छोड़कर सभी दाँत निकल आते हैं। प्रज्ञादन्त अर्थात् अक्कल दाढ़ 16 वर्ष की आयु के बाद निकलती है और इसके निकलते समय दाँतों में कुछ दर्द सा हुआ करता है।
नोट :- कभी-कभी यह 25-30 वर्ष की आयु हो जाने पर भी नहीं निकलती है।