यह दवा एक तरह के छोटे पौधे के रस से तैयार होता है। सेरिब्रो स्पाइनल सिस्टम पर इस दवा की विशेष क्रिया है। तपेदिक, खांसी, गर्दन का वात रोग, सिर दर्द, गर्दन का अकड़ना, निमोनिया, टायफॉइड, डिप्थेरिया, गले में घाव जैसे कुछ रोगों में यह दवा अच्छा काम करता है। मैंने खुद इस दवा का इस्तेमाल इन सभी बीमारियों में किया है और मुझे आशातीत लाभ प्राप्त हुआ है। लक्षणों को विस्तार से समझते हैं :-
गर्दन में दर्द और अकड़न – पीठ और गर्दन में दर्द के साथ अकड़न, सिर का दाहिनी तरह का खिंचाव, सिर हमेशा दाहिनी तरह खींचा रहता है, किसी तरह का भी गले में घाव या डिप्थीरिया रोग में lachnanthes दवा का सेवन से लाभ प्राप्त होता है।
थाइसिस – इस रोग में अगर लगातार बुखार बना हुआ है, शरीर सूखता जा रहा हो, लगातार होने वाली खांसी और रात में अत्यधिक पसीना आने के लक्षण पर lachnanthes उपयोगी है। अगर खांसी का वेग अत्यधिक तेज हो, खांसी के कारण रोगी रात में सो नहीं सकता, खांसते-खांसते छाती में दर्द होने लगे तो lachnanthes Q का इस्तेमाल करना चाहिए। Lachnanthes Q की 10 बून्द आधे कप पानी में डालकर दिन में 3 बार पीने से खांसी और थाइसिस के सारे उपद्रव शांत हो जाते हैं।
जिस यक्ष्मा रोग में मुंह से खून आता हो, छाती के तीसरी पंजरी में चुभता सा दर्द होता हो, यह दर्द छाती के दाहिने और बाईं दोनों ओर हो सकता है, दर्द के साथ खांसी की समस्या और अत्यधिक बलगम आता हो तो anisum stellatum दवा से लाभ मिल जाता है।
यक्ष्मा रोग में भले कितनी भी अच्छी दवा क्यों न दी जाये रोगी के बचने की संभावना कम रहती है। यक्ष्मा रोग में मदर मिल्क पीने से रोगी ठीक हो जाता है। एक रोगी को दिन में 3 से 4 बार पावभर मदर मिल्क पिलाया गया था और रोगी लगभग दो महीने में आरोग्य हो गया था। परन्तु दुःख की बात यह है कि उसी रोगी को 4 वर्ष बाद पुनः यक्ष्मा की बीमारी हो गई जिससे उसकी मृत्यु हो गई। इससे पहले मैंने किसी यक्ष्मा के रोगी पर मदर मिल्क से इलाज होते नहीं देखा था। यक्ष्मा रोग में पहले 7 दिन तक Lachnanthes Q का सेवन कराना चाहिए। उसके बाद Lachnanthes की शक्ति को बढ़ाते हुए दवा देने चाहिए। 3 शक्ति का इस्तेमाल, फिर 30 ch, फिर 200 ch .
एक महीने के बाद Arsenic Iod 3x और Stannum 30 का सेवन कराना चाहिए। अगर आपको कोई यक्ष्मा का रोगी मिले तो उसे मदर मिल्क का सेवन अवश्य कराएं। होमियोपैथी दवा का चुनाव लक्षणों के आधार पर होता है। परन्तु मैंने अपने प्रैक्टिस में दवाओं से काफी मरीज ठीक किये हैं उनके विषय में ऊपर बताया है।
जलन – हाथ की हथेलियों या पैर के तलवों में अगर काफी जलन रहे, सल्फर, आर्सेनिक से जलन ठीक न हो तो Lachnanthes 30 का इस्तेमाल करना चाहिए।
पेट में गुड़गुड़ – हर समय पेट में गुड़-गुड़ होता रहता है, जैसे कोई चीज़ पेट में घूमती रहती हो, पेट में अत्यधिक गर्मी, पेट में अत्यधिक वायु जमा रहना, पाखाना होने के वक्त बहुत सारा वायु पास होना, बार-बार पाखाना की हाज़त होने के बावजूद पाखाना न होना, निमोनिया रोग के साथ पेट फूलने की समस्या में Lachnanthes लाभदायक है।
पोटेंसी – 1 से 6 शक्ति। थाइसिस में मदर टिंचर का इस्तेमाल करें। खुराक – हफ्ते में 2 बार।