कच्चा लहसुन ही चिकित्सा में लाभ करता है। लहसुन ताजा, दो-तीन महीने पुराना ही अधिक लाभप्रद है। लहसुन में विटामिन ‘सी’, खनिज व अन्य तत्वों के अंश पाये जाते हैं। लहसुन का सेवन विश्व में सर्वत्र किया जाता है। अकेला लहसुन अनेक रोगों को दूर करता है।
लहसुन शरीर के सारे रोगों को ठीक करने में सक्षम है। यह रक्त को पतला करता है। यह प्राकृतिक एण्टीबायोटिक है। लहसुन एन्टी-फंगल और एन्टी बैक्टीरियल है।
अाँतों, श्वास व फेफड़ों, गैस, पेट के कीड़े, त्वचा के रोग, घाव, उम्र के साथ होने वाले परिवर्तनों में लहसुन लाभदायक है।
लहसुन दर्दनाशक, बलगम, दमा, मधुमेह, दस्त, बुखार, कैंसर, पित्त पथरी, पथरी, कीटाणुनाशक, सूजन, कामशक्तिवर्धक, एन्टी-सेप्टिक, फोड़े-फुन्सी, सोरायसिस, गाँठों को पिघलाना, मूत्र अधिक लाना, कील-मुंहासे, रक्त की कमी, अम्लपित्त, एमोबायसिस, कमर-दर्द, बेरी-बेरी, जहरीले कीड़े, बिच्छू, कुत्ता काटने के दुष्प्रभाव, हड्डियों के रोग, मस्तिष्क के रोग, ब्रेन ट्यूमर, हृदय रोग, कब्ज, कोलाइटिस, मिरगी, श्वेत प्रदर, स्नायविक दर्द, पेट के रोग, टी.बी., टिटनिस आदि प्राय: समस्त रोगों को ठीक करने व बचाने में सहायता करता है।
सेवन विधि – स्वस्थ रहने, शरीर में कोई भी रोग हो, लहसुन की दो कली के छोटे-छोटे टुकड़े करके नित्य पानी से निगल जायें। यह लहसुन के सेवन की सरल लाभदायक विधि है। लहसुन पेट में जाकर रोग के कीटाणुओं को मारता है। विजातीय पदार्थों को बाहर निकाल कर आन्तरिक सफाई करता है। हर प्रकार के रेडियेशन के दुष्प्रभावों को नष्ट करता है। लहसुन के सेवन से भूख अच्छी लगती है, रक्त पतला रहता है। चेहरा रूप से भरा रहता है।
लहसुन की प्रकृति गर्म है। अत: कम मात्रा से आरम्भ करें। धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाते जायें। रोगों को ठीक करने के लिए लहसुन का नित्य तीन बार सेवन करें। इसकी प्रारम्भ में 5 बूंद रस की लें। धीरे-धीरे बढ़ा कर बीस बूंद तक एक बार में ले सकते हैं। इसे पानी या शहद में मिलाकर लें। फल, सब्जियाँ, भोजन में अधिक लें।
कायाकल्प अमृत (Elixir of Rejuvenation)
25 नीबूओं का रस एक काँच के बर्तन में भर लें। इसमें 250 ग्राम लहसुन पीसकर मिलायें। 24 घंटे बाद इस मिक्चर का एक चम्मच एक कप हल्के गर्म पानी में मिलाकर लगातार 15 दिन पियें। इससे शरीर का कायाकल्प होकर यौवन प्राप्त होगा।
टी.बी. – टी.बी. के रोगी 5 कली लहसुन की भोजन के साथ नित्य खायें।
सोरायसिस – कच्चा लहसुन नित्य लम्बे समय तक खाते रहें। सोरायसिस ठीक करने में इसके उल्लेख मिले हैं। एक चम्मच लहसुन का रस एक गिलास पानी में मिलाकर रोगग्रस्त त्वचा को नित्य एक बार धोयें। यदि खुजली चलती हो तो लहसुन को तेल में उबालकर, छानकर लगायें।
खाँसी – 5 बूंद लहसुन का रस एक चम्मच शहद में मिलाकर नित्य दो बार चाटने से खाँसी ठीक हो जाती है।
गला दर्द – लहसुन की चार कलीं सिरका डालकर चटनी पीसकर नित्य दो बार खाने से गला दर्द ठीक हो जाता है।
इन्फ्लूएंजा – एक कली लहसुन और दो कालीमिर्च पीसकर नित्य दो बार सूंघने से फ्लू के कीटाणु मर जाते हैं। फ्लू जल्दी ठीक होता है।
गन्ध – लहसुन खाने से आने वाली गन्ध को दूर करने के लिए लहसुन को छीलकर रात को पानी या छाछ में भिगो दें, फिर सवेरे खायें या सवेरे भिगो दें और शाम को उसका सेवन करें। इस प्रकार लहसुन लेने से गन्ध नहीं आती है। लहसुन खाने के बाद सूखा धनिया चबाने से इसकी गन्ध नहीं आती। लहसुन से सैकड़ों रोग ठीक होते हैं।