[ युनाइटेड स्टेट्स अमेरिका के एक तरह के गुल्म की जड़ से मूल अर्क तैयार होता है ] – यकृत-विकृति, यकृत में तनाव का दर्द, ज्यादा परिमाण में काला अलकतरे-जैसा बदबूदार मल, किसी भी बीमारी में मल का उक्त प्रकार का लक्षण हो तो सबसे पहले लैपटेण्ड्रा का प्रयोग करना चाहिए ( मल का रंग कीचड़ के रंग के समान होने पर इससे फायदा होता है। )
चरित्रगत लक्षण :-
- यकृत की विकृति तथा अलकतरे-जैसा काला और गोंद जैसा लसदार मल।
- पित्त-धातु, पित्त-विकार की वजह से होने वाला सिर-दर्द, कब्ज, मुंह का स्वाद तीता।
- कामला और उसके साथ ही कीचड़ के रंग जैसा मल।
- पैत्तिक-ज्वर, यकृत की पुरानी सब तरह की बीमारी और रक्त-संचय।
- पेट में ऐंठन का दर्द, किन्तु कूथन का न रहना।
पेचिश हो या अतिसार अथवा सविराम, अविराम, वात-श्लेष्मा इत्यादि किसी भी तरह का ज्वर क्यों न हो, उसके साथ अलकतरे जैसा काला मल हो तो – लैपटेण्ड्रा का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। मर्क्यूरियस में भी कभी-कभी अलकतरे की तरह काला बदबूदार दस्त हुआ करती है, परन्तु उसमे दस्त के साथ और बाद में बहुत कूथन और वेग रहता है। लैपटेण्ड्रा में न तो वैसा वेग रहता है और न ही कूथन, बल्कि इसमें यकृत के स्थान में दर्द और पेट में ऐंठन रहती है। कीचड़ के रंग का दस्त और साथ कामला – यह लक्षण लैपटेण्ड्रा में अधिक है।
यकृत की बीमारी – पित्तकोष और यकृत के स्थान पर तनाव का दर्द, दर्द पीठ तक चला जाना, थोड़ा-बहुत ऐंठन का दर्द बराबर बना रहना, यकृत में बहुत अधिक रक्तसंचय और उसकी वजह से यकृत की जगह और पेट में जलन, पित्त-वमन, जीभ में काला या नीले रंग का लेप-सा चढ़ा रहना, काले रंग का दस्त, दस्त के बाद पेट में ऐंठन का दर्द, नाभि की जगह पर शूल का दर्द, काले रंग का पेशाब, बायें कंधे और बाएं हाथ में दर्द इत्यादि लक्षण में लैपटेण्ड्रा लाभ करता है।
बवासीर – खूनी बवासीर में भी इससे फायदा होता है।
सदृश – चेलिडो, मर्क, डिजि।
डॉ नैश को एक बार पाण्डु-रोग हो गया था, जिससे उन्हें कभी काले रंग का और कभी सफ़ेद रंग का दस्त होने लगा। पहले औरम म्यूर नैट से फायदा न हुआ तो बाद में लैपटेण्ड्रा सेवन करके वो स्वस्थ हो गए।
क्रम – 2x से 3 शक्ति।