किसी चर्म-प्रदाह के घनी फुन्सियों की भाँति प्रकट होने को ‘शैबालिका’ कहते हैं । इस रोग में घमौरी की भाँति सम्पूर्ण शरीर, विशेषकर हाथ-पाँव तथा गर्दन में लाल रंग की फुन्सियाँ निकलती हैं, जिनमें खुजली मचती हैं। त्वचा सूखी तथा मोटी हो जाती है। अन्त में फुन्सियाँ सूख जाती हैं तथा उस स्थान की त्वचा, सफेद रंग की हो जाती है – यही इस रोग का मुख्य लक्षण है । यह रोग उष्ण-प्रधान देश के निवासियों, गर्मी के दिनों में अधिक परिश्रम करने वालों तथा डबल-रोटी, चूरन, बर्फ, सोडा का अधिक सेवन करने वालों अथवा राज-मजदूरी का काम करने वाले लोगों को होता है।
इस रोग में निम्नलिखित होम्योपैथिक औषधियाँ लाभ करती है –
सल्फर 30 – यह नयी बीमारी में लाभप्रद है ।
एण्टिम-कूड 6, 30 – पाकाशय की गड़बड़ी-युक्त बीमारी में हितकर है ।
एपिस 3 अथवा लीडम – फुन्सियों में काँटा चुभने जैसा दर्द होने के लक्षणों में हितकर है ।
आर्सेनिक 3x, 3 – यह औषध पुरानी बीमारी में हितकर है ।
विशेष – उक्त औषधियों के अतिरिक्त लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों के प्रयोग की भी आवश्यकता पड़ सकती है :-
मेजेरियम, ग्रेफाइटिस, सल्फर, नेट्रम-म्यूर, रस-टाक्स तथा फाइटोलैक्का।