लिलियम टिग्रीनम के लक्षण तथा मुख्य-रोग
(Lilium Tigrinum uses In Hindi)
(1) यह अनुभव करना कि जरायु तथा भीतर के सब अंग योनि-द्वार से निकल पड़ेगे – यह स्त्रियों की औषधि है और इसकी सब तकलीफें जरायु तथा डिम्बकोश पर निर्भर हैं। रोगिणी अनुभव करती है कि उसके आभ्यन्तरिक सब अंग-जरायु, डिम्बकोश, पेट, आंतें-सभी कुछ योनि द्वार से बाहर निकले जा रहे हैं। योनिद्वार को या तो कपड़े से बांधे रखना पड़ता है या वहां हाथ रख कर उसे संभालना पड़ता है। यह लक्षण सीपिया में भी है, परन्तु दोनों में भेद है।
(2) लिलियम तथा सीपिया की योनि-मार्ग पर दबाव के अनुभव की तुलना – ऐसे लक्षणों में इन दोनों औषधियों में निर्वाचन करने में कठिनाई होती है। यह स्मरण रखना चाहिये कि लिलियम में इन लक्षणों से कष्ट तथा परेशानी सीपिया से ज्यादा होती है, परन्तु इन दोनों में से सीपिया की रोगिणी पुरानी बीमारी की मरीज होती है। सीपिया का शरीर अत्यन्त क्षीण होता है, लिलियम में मूत्राशय का प्रदाह रहता है, बार-बार जाना पडता है; प्रदाह को देखते हुए कैन्थरिस के लक्षण मालूम पड़ते हैं, परन्तु अगर मूत्राशय की इन जलन के लक्षणों के साथ जरायु के योनि-द्वार से निकल पड़ने का अनुभव हो तो लिलियम उपयुक्त है।
लिलियम | सीपिया |
प्रजनन की तरह का दबाव | प्रजनन की तरह का दबाव |
भीतरी अंग योनि-द्वार से निकले जा रहे हैं अनुभव करना | भीतरी अंग योनि-द्वार से निकले जा रहे हैं अनुभव करना |
बड़े-बड़े दस्त आना (डायरिया) | दस्तों का अभाव |
ऊष्णता-प्रधान (Hot) | के लक्षण तथा मुख्य-रोग |
(3) योनि-द्वार पर दबाव के साथ हृदय को लोहे के शिकंजे से जकड़े होने का अनुभव – योनि-द्वार में से भीतर के अंगों के निकल पड़ने के से अनुभव के साथ रोगिणी को ऐसा अनुभव होता है कि उसका हृदय लोहे के शिकंजे से जकड़ा गया है। हृदय में तीखा दर्द होता है और दिल फड़कता सा प्रतीत होता है। हृदय के शिकंजे से कसे जाने का-सा अनुभव कैक्टस के से अनुभव के समान होता है, परन्तु लिलियम में योनि-द्वार का उपरोक्त लक्षण मिला रहता है।
(4) रोगिणी उदास रहती है तथा झट रो देती है – इसके मानसिक लक्षण पल्सेटिला जैसे होते हैं। रोगिणी उदास रहती हैं, झट रो देती है। पल्सेटिला की तरह ही खुली हवा पसन्द करती है, ठंडा कमरा चाहती है।
(5) शक्ति तथा प्रकृति – 30, 200 ( उच्च-शक्ति अच्छा काम करती है। औषधि ‘गर्म’-प्रकृति के लिये है। )