हिंदी नाम – बिदाली। यह बिल्व जाति का वृक्ष है। बिदाली के पत्ते, डण्ठल, फल बहुत तीते होते हैं। इसकी सूखी लता व फल कुछ लेकर उन्हें कूंच कर रात को भींगा रख प्रातःकाल छानकर खाली पेट सेवन करने से बहुत बार कै दस्त होकर प्लीहा घट जाती है, ज्वर भी ठीक हो जाता है।
बिदाली – प्लीहा की एक उत्कृष्ट औषधि है और आयुर्वेद में अभय लवण का यह एक मुख्य उपादान है। बिदाली शोथ व प्लीहा-यकृत बढ़ने की एक उत्कृष्ट औषधि है। प्लीहा रोग में – 1 बून्द की मात्रा में आरम्भ कर क्रमशः 15-20 बून्द तक की मात्रा में बढ़ानी चाहिए, उदरामय के लक्षण प्रकट न होने तक बिना सन्देह मात्रा बढ़ाई जा सकती है, इसके अलावा – अर्श रोग में, अर्श की बाहरी बलियों को घटाने के लिए इसके बाहरी प्रयोग से भी विशेष फल प्राप्त होता है, एक औंस जल में 20 बून्द Q मिलाकर उसमे साफ़ कपडा भिगाकर बीच-बीच में अर्श के मस्सों पर लगाने व खाने की दवा सेवन करनी चाहिए। नाक की व पुरानी सर्दी के स्राव और बहुत दिनों तक सर्दी स्थायी रह जाने के कारण नाक से रक्त गिरना व उसी के साथ ललाट में दर्द इत्यादि लक्षण रहने पर इससे फायदा होगा।
क्रम – 3x, 6x आदि।