[ साक-सब्जी से तैयार होती है ] – यह दवा ब्लड-प्रेसर और हृत्पिण्ड की बीमारी में फायदा करती है। हृत्पिण्ड में दर्द, असम, दुर्बल और सविराम नाड़ी, नाड़ी की चाल तेज, जोर-जोर से कलेजा धड़कना। इसमें ब्लड-प्रेशर घट जाता है और नाड़ी का स्पंदन कम हो जाता है। हृत्पिण्ड-रोग-जनित हिमाप्टिसिस या मुंह से खून आने के लक्षण में लाइकोपस वर्जीनिकस लाभ करता है।
लाइकोपस वर्जीनिकस के मुख्य लक्षण :-
- सिर के अगले भाग में दर्द रहता है, नाक से खून गिरना, हृदय की कष्टपूर्ण गति में लाइकोपस वर्जीनिकस से फायदा होता है।
- आँखें बाहर उभरी हुई, अण्डकोष में टीस मारने जैसा दर्द, हृत्पिण्ड में दर्द और सविराम नाड़ी में लाइकोपस वर्जीनिकस का प्रयोग करें।
- घुम्रपान करने वालों के दिल तेज गति से धड़कना, हृदय के अगले भाग में दर्द होना, नाड़ी कमजोर, नाड़ी का रुक-रुक कर चलना, वात रोग की तरह हृदय का दर्द, सांस लेने में मुश्किल होने जैसे लक्षण में लाइकोपस वर्जीनिकस का उपयोग अवश्य करके देखें।
- सांस ठीक से नहीं ले पाना, सांस में सांय-सांय की आवाज, खांसी के साथ मुंह से खून आने के लक्षण में लाइकोपस वर्जीनिकस से लाभ होगा।
- मूत्र का रंग सफेद, हृदय गति तेज से साथ पेशाब का पानी की तरह और कम मात्रा में आना, अण्डकोष में दर्द होने पर इस दवा का प्रयोग करें।
- हृत्पिण्ड और ब्लड-प्रेशर की बीमारी में उत्तम दवा है। मुंह से खून आना, नाड़ी की गति कमजोर और सविराम नाड़ी, हृदय में दर्द, कलेजा जोर से धड़कना, ब्लड प्रेशर का घट जाना और नाड़ी स्पंदन कम होना इत्यादि लक्षणों में लाइकोपस वर्जीनिकस दवा के सेवन से लाभ होता है।
मात्रा – 1 से 30, 200 शक्ति।