इस रोग में पर्याप्त पौष्टिक भोजन मिलने के बावजूद बच्चे का शरीर सूखता चला जाता है और वह दुर्बल होने लगता है । यह रोग मूलतः पाचनक्रिया की गड़बड़ी, पीने के लिये स्वच्छ पानी उपलब्ध न होना, खाद्य पदार्थों का दूषित होना, यकृत-विकार हो जाना आदि कारणों से होता है।
आयोडम 30- पौष्टिक भोजन मिलने पर भी बच्चा सूखता जाये, बच्चा दिनभर भोजन की माँग करता हो और खाना खाने के बाद आराम का अनुभव करता ही ती दें ।
आर्जेन्टम नाइट्रिकम 30- पूरा शरीर सूख गया हो, मुँह पर झुर्रियाँ पड़ जायें, बच्चा मिठाई खाने की जिद करे तो लाभप्रद है ।
एण्टिम कूड 6- बच्चा दूध पीते ही पलट देता हो, पतले दस्त आते हों, जीभ पर सफेदी हो, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाये तो इन लक्षणों में लाभप्रद सिद्ध हुई है ।
साइलीशिया 200- सिर बड़ा तथा शेष शरीर सूखा हुआ हो, सोते समय केवल सिर पर पसीना आये, शरीर दुबला-पतला हो और ठण्ड बर्दाश्त न कर पाये तो लाभ करती है ।
सल्फर 200- बच्चा गन्दा और सुस्त रहता हो, पेट में गुड़गुड़ाहट, पेट फूलना, माँसपेशियों का सूखते जाना- इन लक्षणों में दें । यदि रोगी को बार-बार चर्म-रोग हों अथवा रोग पुराना पड़ चुका हो तब भी यह दवा अत्यन्त लाभकर है ।
फॉस्फोरस 30- बच्चे का शरीर सूखता जाये और शौच पतला आये तो लाभकर है ।
लाइकोपोडियम 30-शरीर ऊपर से सूखना प्रारंभ हुआ हो, गर्दन दुवली हो गई हो लेकिन निचला भाग ठीक बना रहे तव लाभकर है ।