मसूर की दाल की प्रकृति गर्म, शुष्क, रक्त बढ़ाने वाली और रक्त को गाढ़ा करने वाली है। इसे पचाने में अधिक समय लगता है। इसकी दाल खाने से दस्त, बहुमूत्र, प्रदर और कब्ज़ में लाभ होता है। इसकी दाल घी से छौंककर, तलकर खाने से नेत्रों को शक्ति मिलती है। मसूर के आटे का चूरमा, मलीदा बनाकर खाने से प्रदर, हर प्रकार के रक्तस्राव में लाभदायक है।
मसूर की दाल एवं मूंग की दाल के गुण समान हैं। मूंग के बदले मसूर का प्रयोग कर सकते हैं।
प्रोटीन – नित्य 50 ग्राम प्रोटीन लेना अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। मसूर की दाल के एक कप में 18 ग्राम प्रोटीन मिलता है।
पेट के रोग – पेट की पाचन-क्रिया से सम्बन्धित हर प्रकार के रोग में मसूर की दाल खाना लाभदायक है।
फोड़े – मसूर के आटे की पुल्टिस लगाने से फोड़े शीघ्र फूटकर मवाद सूख जाता है।
मंजन – मसूर की राख मंजन में लाभदायक है। इस राख में अन्य चीजें उनके गुणों को देखते हुए मिला सकते हैं।
मुँहासे व मुँहासों के धब्बे – मसूर की दाल इतने पानी में भिगोयें कि वह भीगकर उस पानी को सोख ले। फिर उसे पीसकर दूध में मिलाकर सुबह-शाम, दो बार चेहरे पर लगायें, मलें। रात को सोते समय जायफल और कालीमिर्च दोनों कच्चे दूध में पीसकर चेहरे पर लगायें।
चेहरे के दाग – (1) तरबूज के बीज की मींगी (पंसारी के यहाँ उपलब्ध) और मसूर की दाल समान मात्रा में दूध डालकर पीसकर चेहरे पर रात को लेप करें। चेचक, दाग, गहरे गड्ढे साफ हो जायेंगे। लम्बे समय तक प्रयोग करें। (2) चार चम्मच मसूर की दाल दो घण्टे भिगो लें और बरगद के पेड़ की कोमल नई-नई चार पत्तियाँ दोनों को बारीक पीसकर चेहरे पर लेप करें। तीन घण्टे बाद चेहरा धोयें। चेहरे के धब्बे, झाँइयाँ ठीक हो जायेंगी। यह प्रयोग नित्य दो सप्ताह तक करें। (3) मसूर की भीगी दाल पर नीबू निचोड़कर पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की झाँइयाँ मिट जाती हैं।
खूनी बवासीर हो तो प्रात: के भोजन के साथ मसूर की दाल खाने और एक गिलास खट्टी छाछ पीने से लाभ होता है।
पैरों की जलन – मसूर की दाल का आटा पीसकर पानी में घोलकर उबालें। फिर ठण्डा होने पर चार बार रोजाना पैरों पर लेप करें। पैरों की जलन में लाभ होगा।