(101) Plumbum 30 – सख़्त कब्ज कम्पोजीटरों का पेट-दर्द, उनकी कब्ज़ तथा उनका लकवा; आंतों का एक-दूसरे में घुस जाना।
(102) Podophyllum 3, 30, 200 – पानी की तरह हरे, बदबूदार, बहुत भारी दस्त का प्रातः 7 से 10 बजे तक आना, फिर दोपहर बाद स्वाभाविक टट्टी आना, और अगले दिन फिर वैसे ही दस्त आना। बच्चों के हैजे जैसे दस्तों में 200 या 1000 शक्ति से लाभ होता है।
(103) Psorinum 200, 1M – त्वचा के खुजली आदि रोग (एक्यूट में सल्फर, क्रौनिक में सोरिनम); पतली टट्टी भी कठिनाई से आती है; जैलापा की तरह बच्चा दिनभर खेलता रातभर सोता है (लाइको से उल्टा); मैथुन की शक्ति होने पर भी उस में आनन्द न आना। लगभग 9 दिन बाद इसका असर दीखने लगता है।
(104) Pulsatilla 3, 30, 200, 1M – तेल तथा घी की गरिष्ठ वस्तुओं से बदहजमी (नक्स इन्हें पचा लेता है); मासिक में देरी या कष्ट; दर्द के समय ठंड की सिहरन तथा दर्द का स्थान बदलते रहना; प्यास न लगना; ठंड से दांत दर्द हट जाना; जुकाम, खांसी, प्रदर में गाढ़ा, पीला स्राव; सहानुभूति का भूखा होना, (नैट्रम म्यूर तथा सीपिया से उल्टा); शरीर के केवल एक हिस्से में पसीना आना।
(105) Rheum 3, 6 – बच्चों की दवा; सिर, नाक, मुंह से लगातार पसीना, पसीने में खट्टी बू आना-इन लक्षणों में दस्त आने पर या दूध न पचा सकने पर उपयोगी है; ऐसा डायरिया जो हरकत न होने पर न आये, हरकत होने पर आयें।
(106) Rhus tox 6, 30, 200, 1M – ऑपरेशन के बाद की बेचैनी; जोड़ों में दर्द जब चलने-फिरने से आराम मिले; बैठी हालत से उठने पर जब शुरू में दर्द हो पर हरकत के बाद बन्द हो जाय; तर हवा या सीलन से कोई भी रोग होना; मांसपेशियों में दर्द, मिचकोड़; टाइफ़ॉयड में जब दस्तों से रोग की शुरुआत हो (टाइफॉयड की कब्ज से शुरुआत हो तो ब्रायोनिया); जीभी के प्रारंभ में तिकोना।
(107) Ruta 30, 200, 1M – हड्डी के आवरण पर चोट; पढ़ने-लिखने, घड़ीसाजी, सीने आदि के बारीक काम से आंखों पर जोर पड़ना; कांच निकलना; शियाटिका का दर्द।
(108) Sabadilla 30 – देर तक रहने वाला जुकाम; हर समय खखार की आवाज़ करते रहना।
(109) Sabina 3, 30 – तीसरे महीने गर्भपात होने की प्रवृत्ति को रोकता है। जिन्हें गर्भपात हो जाया करता है उन्हें-‘सिमिसिफ़्यूगा’-एक्टिया रेसिमासा-की 30 शक्ति की गर्भपात की आशंका के दिनों से 15-20 दिन पहले से प्रतिदिन 3 मात्राएं देनी चाहियें। मस्सों पर इस का टिंचर लगाओ।
(110) Sanguinaria 6, 200 – सिर की गुद्दी से उठकर हर सातवें दिन दाईं आंख पर आ ठहरने वाला सिर-दर्द, लगातार बहने वाला रुधिर-अग्रेजी में Sanguine का अर्थ ही ‘full of blood’ है। यह औषधि जोंक से बनी है जिसके काटने से रुधिर बहने लगता है।
(111) Sarsaparilla 6 – मूत्र में पथरी के सफेद कण; पेशाब के अन्त में अत्यन्त पीड़ा; लाल कण हों तो लाइको उपयोगी है; त्वचा पर गर्मी के छोटे-छोटे दाने (मरोरी).
(112) Secale cor. (Ergot) 30 – तीसरे महीने गर्भपात (सैबाइना की तरह); ऐंठन जिसमें अंगुलियां पीछे को मुड़ती हैं (क्यूप्रम से उल्टा); रोगी के अंग छूने से ठंडे महसूस होते हैं परन्तु रोगी उनका ढकना बर्दाश्त नहीं कर सकता; जरायु से रक्त-स्राव।
(113) Selenium 200 – बाल झड़ना; प्रोस्टेट की सूजन (प्रोस्टेट में सबल सेरुलेटा के टिंचर के 10 से 30 बूंद तक देना चाहियें); पुरुष के जननांगों की कमजोरी।
(114) Sepia 1x twice a day or 30, 200, 1M – सहानुभूति न सह सकना (पल्स से उल्टा); कपड़े धोने आदि से देर तक पानी में खड़े रहने से रोग (धोबियों की दवा); स्त्री का पति-पुत्र से प्रेम न रहना; गर्भपात की प्रवृत्ति; रजो-निवृत्ति के समय गर्मी की झलें; जननांगों से जरायु निकल पड़ेगा-यह सोच कर स्त्री का टांग से टांग दबाकर बैठना; बच्चे का पहली नींद में पेशाब कर देना।
(115) Silicea 6, 12, 30, 200, 1M – फोड़े से मवाद निकलने के बाद उसे भरने के लिये; नासूर, भगंदर में C.M. की एक मात्रा; व्यापारियों, वकीलों, विद्यार्थियों के मस्तिष्क की थकावट में; बड़े पेट वाला बच्चा जिसकी सिर की हड्डी नहीं जुड़ती; सिर तथा चेहरे पर पसीना परन्तु शेष शरीर पर नहीं; सोने पर सिर-माथे से पसीना (थूजा में शरीर से); शवों या मृत-व्यक्तियों के सपने आना।
(116) Spigelia 30, 200, 1M – गुद्दी से दर्द का उठ कर बाईं आंख पर रुक जाना (सैंग्विनेरिया से उल्टा); हृदय का दर्द (ऐसा लगना कि हिलने-डुलने से दिल बन्द हो जायेगा).
(117) Spongia tosta 30, 200, 1M – क्रुप खांसी में एकोनाइट 200, स्पंजिया 200, हिपर 200 एक दूसरे के बाद दो, परन्तु अगर एकोनाइट से ठीक हो जाय तो आगे न बढ़ो।
(118) Stannum met 30 – टी- बी० की खांसी; मीठा कफ; छाती में खाली-खाली अनुभव होना।
(119) Staphysagria 30, 200 – मर्क सौल की तरह दांतों के अगले भाग का भुर जाना; ऊपरी पलक पर बार-बार गुहौरी या मस्से होना।
(120) Stramonium 3, 6, 30 – बच्चों में तुतलाना (कैनेबिस सैटाइवा); पागलपना में हंसना, गाना, मुंह चिढ़ाना, प्रार्थना करने लगना।