(81) Magnesia carb 30 – बच्चों के हरे, काई-जैसे, लेई के-से दस्त; खट्टी बू आना; मासिक सिर्फ सोने या लेटने पर होता है, चलने-फिरने से बन्द हो जाता है।
(82) Magnesia phos 6, 30, 200, 1M – दर्द का एकदम आना और एकदम चले जाना (बैलेडोना में भी ऐसा है); यह दर्द की दवाओं का राजा कहा जाता है। गर्म पानी में 6x देने से अच्छा काम करता है।
(83) Medorrhinum, 200, 1M – सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोग रहना (सिफिलीनम से उल्टा); दबे हुए गोनोरिया की वजह से कोई रोग।
(84) Merc Cor 30, 200 – डिसेन्ट्री में खून ज्यादा आंव कम; डिसेन्ट्री में पाखाना होने पर भी ऐंठन-के कारण टट्टी करते बैठे रहना। (नक्स मे जरा-सी टट्टी से आराम लगना)
(85) Merc Sol 6, 30, 200, 1M – सफेद डायरिया; डिसेन्ट्री में आंव ज़्यादा खून कम; पाखाने में बस न होना-‘Never get gone feeling’; रात को हड्डियों में दर्द, जीभ तर परन्तु प्यास अधिक; स्टैफ़िसैग्रिया की तरह दांत की जड़ ठीक परन्तु अगला भाग खुरता जाता है (थूजा और मैजेरियम से उल्टा)।
(86) Mezereum 6, 30, 200 – थूजा की तरह दांत ठीक परन्तु जड़ गल जाती है (मर्क सौल से उल्टा); पैर की लम्बी हड्डियों में दर्द।
(87) Moschus 1, 3 – हिस्टीरिया।
(88) Muriatic acid, 3, 200 – गर्भावस्था की बवासीर; रोगी पेशाब तभी कर सकता है अगर टट्टी भी साथ ही करे।
(89) Natrum carb 6 – दूध हज़्म नहीं होता, उस से पतले दस्त आने लगते हैं; चलने पर पैर टेढ़े हो जाते हैं, चलने से घुटने की खोल में दर्द होता है; निपट बन्ध्यापन को दूर करता है।
(90) Natrum Mur 30, 200, 1M – स्कूली बच्चों का सिर-दर्द, दिन के 9 से 11 बजे बुखार आना; क्रोध, भय आदि से रोग; शोक से नींद न आना; किसी विचार को छोड़ न सकना; खाने-पीने पर भी खासकर गला दुबला होना; छींकों से जुकाम की शुरुआत में 30 शक्ति दो; रोगी की नमक के लिये ज़्यादा इच्छा; बुखार को दूर करने वाली औषधियों की इसे राजा कहा जाता है। अनीमिया कुनीन अधिक लेने के बाद होने वाले रोग; डॉ० बर्नेट का कहना है कि इसके 6x से उन्होंने गठिये के अनेक रोगी ठीक किये हैं, प्रति 2-3 घंटे के बाद दो, पेशाब गाढ़ा हो जायेगा, गठिया ठीक हो जायेगा। रोगी दूसरों के सामने पेशाब नहीं कर सकता-यह इसका विलक्षण-लक्षण है; सीपिया की तरह सहानुभूति पसन्द न करना।
(91) Natrum phos 3, 30 – एसिडिटी; खट्टे डकार; खट्टे डकारों के साथ पेट में वायु; पीलिया; पीली जी;: आंखों में पीली गीध। पीलिया में 1x लाभप्रद है।
(92) Natrum sulph 30 – पेट में हर समय हवा भरी रहना और रात को डायरिया की सख्त शिकायत होना।
(93) Nitric acid 6 – फांस की चुभन का-सा दर्द-गले में, गुदा में-जैसे फट गये हो ऐसा महसूस करना।
(94) Nux vomica 1, 30, 200, 1 M – पतले-दुबले, शारीरिक श्रम न करने वालों, मिर्च-मसाले आदि खाने वालों के बदहज़मी आदि रोग; बार-बार पाखाने जाना, रात को नाक बन्द होना; कमर-दर्द में बिस्तर से उठकर बैठने पर ही कमर बदली जा सकती है; 3 बजे के बाद न सो सकना।
(95) Opium 30, 200 – सख़्त कब्ज या गोल, कठोर, काला, गेंद-सा मल; प्रसव के बाद पेशाब रुक जाना।
(96) Petroleum 30, 200, 1M – प्रत्येक सर्दी में हाथ-पैर-मुंह फट जाते हैं, उन से खून निकलता है; दस्त केवल दिन को आता है, रात को नहीं; एग्जीमा आदि के ठीक होने के बाद त्वचा के बदरंगपने को हटा देता है। एग्ज़ीमा में पनीला स्राव; चिपचिपे स्राव में ग्रैफ़ाइटिस दो।
(97) Phosphoric acid 18,30 – स्वप्न-दोष में 18 शक्ति; शोक, भग्नप्रेम, मानसिक आघात से रोग; भारी दस्त परन्तु कमजोरी नहीं।
(98) Phosphorus, 30, 200 – ऑपरेशन के पहले या बाद इस के 200 शक्ति के दो-चार डोज देने से बाद के कष्ट नहीं होते; मेरु-दंड तथा पीठ की जलन; बुढ़ापे में चक्कर और अनिद्रा; पानी की तरह पतला, पिचकारीनुमा दस्त का वेग से निकलना; बच्चा जनने के बाद सब कुछ ठीक होने पर भी ज़्यादा रक्त-स्राव होना जो जमे नहीं। टी० बी० में बहुत नीचे की शक्ति न दें, न लगातार दें-रोगी के मर जाने का डर रहता है, बहुत ऊंची शक्ति भी न दें। इसके मानसिक लक्षण मुख्य हैं, रोगी निराश होता है।
(99) Phytolacca 3 – ग्रन्थि-शोथ (टांसिल, स्तन आदि सूज जाना)
(100) Picric acid 6, 30, 200 – दिमागी थकावट; मेरु-दंड की जलन; विद्यार्थियों का परीक्षा में फेल होने का डर (इथूज़ा में भी यह है).