मासिक की अधिकता से तात्पर्य है- मासिक-काल में अत्यधिक रक्त आना । इसी प्रकार यदि मासिक सामान्य से अधिक दिनों तक जारी रहे तो उसे भी मासिक की अधिकता ही कहा जायेगा । यह रोग गर्म प्रकृति के पदार्थों का अधिक सेवन करने, शारीरिक श्रम न करने, श्रृंगारपरक वातावरण में रहने, अत्यधिक भोग-विलास करने, चोट लग जाने आदि कारणों से होता है । इस रोग में दर्द, मूच्छा, बेचैनी, आलस्य, रक्त की कमी आदि लक्षण प्रकट होते हैं ।
हाइडैस्टिस केन 1x- यह इस रोग की उत्तम दवा है और प्रायः प्रत्येक लक्षण में प्रयोग की जा सकती है ।
चायना 6, 30- अधिक मात्रा में मासिक होना, मासिक अधिक दिनों तक जारी रहना, मासिक का समय से पूर्व ही हो जाना, मासिक में दर्द न होना, पतला या गाढ़ा काले रंग का स्राव होना- इन सभी लक्षणों में अत्यन्त लाभ करती हैं ।
एकोनाइट 3x- मासिक का अधिक मात्रा में और कई दिनों तक रहना, आलस्य, रक्तस्राव का रंग चटकीला होना, कभी-कभी नाक से भी रक्तस्राव होना- इन सभी लक्षणों में लाभप्रद है । मोटी युवतियों की बीमारी में यह दवा अधिक उपयोगी है ।
मिलिफोलियम Q, 1x- मासिक अधिक मात्रा में और अधिक दिनों तक होना, बुखार, आलस्य- इन लक्षणों में दें ।
बोविस्टा 30, 200- मासिक-काल में जरा भी हरकत से रक्त गिरे, दिन में स्राव कम हो जबकि रात में ज्यादा हो, ऑखों में दर्द रहे, सिर में भारीपन हो- इन सभी लक्षणों में देनी चाहिये ।
कल्केरिया कार्ब 30- मोटी युवतियों का रोग, पेशियों की कमजोरी के कारण रोग का होना, सिर में भारीपन, सुबह के समय सिर पकड़ लेना, अम्लयुक्त वमन- इन लक्षणों में लाभ करती है ।
सैबाइना 30- मासिक जल्दी-जल्दी हो, पतला स्राव आये, पीठ में दर्द, मूत्र संबंधी रोग, मासिक के बदले श्वेत प्रदर होना, योनि में खुजली, जरायु में खालीपन और दर्द- इन लक्षणों में दें ।
कैमोमिला 12, 30- जल्दी-जल्दी और ज्यादा मात्रा में मासिक आना, स्राव का रंग काला, स्राव से बदबू आना, तलपेट और जरायु में दर्द होना, सिर-दर्द, चिड़चिड़ा स्वभाव- इन लक्षणों में उपयोगी है ।
इपिकाक 6x- असमय में प्रचुर रक्तस्राव, कई दिनों तक लगातार स्राव हो, स्राव का रंग चमकीला और थक्केदार, मासिक से पहले वमनेच्छा, पेट में दर्द, साँस लेने में तकलीफ, आहार लेने की इच्छा न होना- इन लक्षणों में देनी चाहिये ।