मर्क्यूरियस आयोड, मर्क्यूरियस बिनआयोड, मर्क सियानेटस होम्योपैथी के लाभ
उपर्युक्त तीनों दवाओं में से मर्क्यूरियस आयोड – शरीर के दाहिने अंश पर और मर्क्यूरियस बिनआयोड – बायीं तरफ अपनी क्रिया प्रकट करती है; ये दोनों ही दवाएं साधारण फॉलिक्युलर फैरिंजाइटिस से लेकर डिफ्थीरिया और यथार्थ उपदंश-रोग तक में उपयोग होती हैं। मर्क्यूरियस सियानेटस – डिफ्थीरिया और गले के धाव की प्रधान दवा है और उसी में इसका अधिकतर व्यवहार होता है ।
डिफ्थीरिया – यह एक तरह की कड़ी और घातक बीमारी है। इसमें गले के भीतर ( उपजिह्वा के पास ) एक तरह का घाव होता है, उसपर एक तरह का पतला सफेद-सफेद परदा-सा ( membrane ) जम जाता है और जल्द आराम न होनेपर वह घाव क्रमशः गले के भीतर तथा नाक और फेफड़े तक चला जाता है और साथ ही बुखार, गले में दर्द, खाने-पीने और श्वास-प्रश्वास में भारी कष्ट, ऊंची साँय-साँय आवाज, खाँसी, मुँह से लार बहना और बदबू निकलना, सुस्ती, बहुत कमजोरी इत्यादि कितने ही आनुषंगिक लक्षण प्रकट होते हैं – ये ही डिफ्थीरिया रोग के प्रधान लक्षण हैं। किसी रोगी में – ये लक्षण दिखाई दें तो समझ लेना चाहिये कि उसकी बीमारी कड़ी है और बहुत सावधानी से उसका इलाज करना चाहिये। इस बीमारी में कितने ही रोगी साँस रुकने से मर जाते हैं। ऐलोपैथिक चिकित्सक प्राय: वायुनली काट देने ( tracheotomy ) की सलाह देते हैं। बच्चों को ही ज्यादातर यह बीमारी होती है। डिफ्थीरिया में -मर्क्यूरियस सॉल, मर्क्यूरियस कॉर आदि दवाओ से कोई फायदा नहीं होता; मर्क्यूरियस आयोड, मर्क्यूरियस बिनआयोड और मर्क्यूरियस सियानेटस आदि दवाओं की जरूरत पड़ती है ।
मर्क्यूरियस आयोड – इसमें सूजन, दर्द, प्रदाह आदि उपसर्ग पहले तालुमूल की दाहिनी ओर प्रकट होते है; गर्दन की गाँठ फूल जाती है; गले के भीतर बहुत लसदार गोंद-जैसा श्लेष्मा या एक तरह का पदार्थ जम जाता है, कोई चीज खाने या पीने में बहुत तकलीफ होती है और घुँट लेने में तो सबसे ज्यादा कष्ट होता है; रोग के उपसर्गो के साथ बुखार रहता है। इस दवा के लक्षण अपेक्षाकृत मृदु या हलके होते हैं।
मर्क्यूरियस बिनआयोड – इसमें घाव और सूजन वगैरह उपसर्ग पहले तालुमूल की बाईं ओर प्रकट होते हैं और ऊपर बताये हुए मर्क्यूरियस आयोड के प्रायः सभी लक्षण मौजूद रहते हैं, पर इसका बुखार, प्रदाह के लक्षण और अन्य समी उपसर्ग मर्क्यूरियस आयोड की अपेक्षा अधिक प्रबल होते है। इन दोनों ही दवाओं में-जीभ की जड़ में सफेद पीले मैल तथा जीभ की नोक लाल रंग की और साफ रहती है।
मर्क्यूरियस सियानेटस – यह दवा डिफ्थीरिया की प्रधान और श्रेष्ठ दवा है। बीमारी का एकाएक आक्रमण हो और देखते-देखते वह भयंकर रूप धारण कर ले, रोगी बहुत जल्द कमजोर हो जाय, उसका शरीर ठण्डा होता जाय, नाड़ी की गति बहुत तेज, नाड़ी रुक-रुक कर चले, मुँह से सड़ी बदबू निकले, घाव नाक में चला जाय, गैंग्रीन में परिणत हो जाने की अवस्था हो जाय, जीभ कभी-कमी काली हो जाय ( यह बहुत भयानक लक्षण है ) तो सबसे पहले – मर्क्यूरियस सियानेटस का प्रयोग करना चाहिए। इसका एपिस के बाद प्रयोग करने से-ज्यादा फायदा होता है और डिफ्थीरिया के सिवा गले के भीतर के एक तरह के घाव में भी इस लक्षण में यह लाभदायक है। साधारणतः इसकी 6 शक्ति से ही लाम होता है।
एपिस में – प्रायः बुखार नहीं रहता, किंतु नाड़ी की गति मर्क्यूरियस सियानेटस की तरह तेज ओर क्षीण रहती है। गले के भीतर बहुत सूजन आ जाती है और वह जगह चमकीली दिखाई देती है; उपजिह्वा और गले के भीतर का सारा हिस्सा थैली की तरह फूल जाता है, जो देखने में ऐसा लगता है जैसे उसके भीतर पानी भरा है। कोई भी चीज खा-पी नहीं सकता, यहाँ तक कि घूँट भी नहीं ले सकता। इस में-प्रदाह पहले दाहिनी ओर होता है (दोनों ओर भी हो सकता है )।
आर्सेनिक – रोग की बढ़ी हुई और कठिन अवस्था में फायदा करती है। इसमें भी एपिस की तरह सूजन रहती है, रोगी बहुत छटपटाया करता है, उपसर्ग आदि रात में और दोपहर के बाद बढ़ते है, मुँह में जोर की बदबू रहती है।
बैप्टीशिया – रोगी की सन्निपतिक अवस्था प्राप्त हो जाने पर तथा श्लेष्मा, मल, मूत्र ,पसीना, लार इत्यादि सभी स्रावों में बदबू रहे तब – इसका प्रयोग होना चाहिये।
कार्बो वेज – नाक से रक्त का स्राव होना, रोगी बिल्कुल रक्तहीन हो जाना। शीत आ जाना, पंखे की हवा चाहना।
कैलि बाइक्रॉम – बहुत ज्यादा कमजोरी हाथ-पैर ठण्डे। इसमे पहले स्वर यन्त्र पर रोग का आक्रमण होता है। स्राव गोंद – जैसा लसदार, गाढ़ा।
नैजा या कोब्रा – रोग-विष से शरीर नीला पड़ जाना, हृत्पिण्ड की क्रिया बन्द होने का उपक्रम ; नाड़ी सूत की तरह क्षीण हो जाना या मालूम ही न होना।
मर्क्यूरियस बिनआयोड – पुराने उपदंश और पारद दोष की अच्छी दवा है। उपदंश के घाव में रोग वाली जगह पर छेद होकर रोग घातक हो जाय तो-मर्क्यूरियस सियानेटस फायदा करती है।
क्रम – मर्क्यूरियस आयोड और मर्क्यूरियस बिनआयोड – 3x से 6 शक्ति। मर्क्यूरियस सियानेटस – 6 से 30 शक्ति l