भारत में उगाये जाने वाले बीज मसालों में मेथी (ट्राइगोनेला फोइनम ग्रेइकम ली) का मुख्य स्थान है। इसके बीज का प्रयोग मसाला व छौंकन (स्पाइस व कॉनडिमेन्ट) के रूप में किया जाता है।
25 ग्राम मेथी आधा गिलास पानी मेथी के फायदेमें भिगोयें, 12 घण्टे बाद मेथी को छानकर अंकुरित करके खायें और पानी को गर्म करके पियें। यह मेथी का श्रेष्ठतम उपयोग है। खाने के 10 मिनट पूर्व मेथी के चूर्ण की फंकी लें। दानामेथी या मेथी के हरे पत्तों का गुण समान है। इनमें से कोई भी प्रयोग कर सकते हैं।
सावधानी – जिनकी प्रकृति गर्म हो, गर्म चीजें सहन नहीं हो, शरीर के किसी भी अंग से रक्त गिरता हो, जैसे-रक्तस्रावी बवासीर, नकसीर, पेशाब में रक्त आना, मासिक-धर्म में अधिक रक्त आना और कई दिनों तक आते रहना, उन्हें तेज गर्मी के मौसम में मेथी का प्रयोग कम और सावधानी से करना चाहिए। मेथी का प्रभाव गर्म होता है। अत: इसे सर्दी के मौसम में सेवन करना अधिक लाभदायक है।
मधुमेह में दो चम्मच कूटी हुई दानामेथी और एक चम्मच सौंफ रात को 200 ग्राम पानी में भिगोकर प्रातः पानी छानकर पियें। इस विधि से गर्म प्रकृति के रोगी मेथी का सेवन करें।
सर्वगुणसम्पन्न – मेथीदाना का प्रतिदिन सेवन करने वाले व्यक्ति के पास निम्न रोग कभी नहीं आयेंगे। इस हेतु नित्य दो चम्मच मेथी और बूरा की फंकी लें।
लकवा, पोलियो, हृदय रोग, निम्न एवं उच्च रक्तचाप, मधुमेह, शुगर, गठियाबाय, साँस की बीमारी, हड्डी का बुखार, बवासीर एवं जोड़ों का दर्द इत्यादि। इसके प्रयोग का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता तथा परहेज भी कोई नहीं है। मेथीदाना के सेवन से नस-नाड़ियों का अवरोध दूर हो जाता है। (2) तीन चम्मच दानामेथी को दो कप पानी में दोपहर में भिगो दें। रात को इसी पानी में उबालकर एक कप पानी रहने पर छानकर स्वादानुसार शहद मिलाकर सोते समय नित्य कुछ सप्ताह पीते रहें। इससे कफ, दमा, फेफड़े के रोग, टी.बी., शराब पीने के दुष्प्रभाव, यकृत सिकुड़ना, कुपोषण, गठिया, आमवात, जलोदर, पीलिया, रक्ताल्पता (एनोमिया), कमर-दर्द, अनियमित माहवारी आदि में लाभ होता है।
स्तनों का दूध सुखाना हो, स्तनों में सूजन, दर्द हो तो मेथी की हरी पत्तियाँ पीसकर स्तनों पर लेप करें। तीन घण्टे बाद धोयें। लाभ होगा।
कोलेस्ट्रॉल – मेथी अच्छे कोलेस्ट्रॉल ‘एचडीएल’ में बिना किसी प्रकार का परिवर्तन किये सीरम टोटल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल/वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लाइसेराइड को कम करती है। मेथी में पाया जाने वाला डायस्जेनिम रसायन कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में उपयोगी है। इस तरह यह हृदयरोगियों का प्रिय खाद्य है। मेथी की सब्जी बनाकर खाते रहें।
मर्दाना शक्तिवर्धक – समान मात्रा में पिसी दानामेथी और पिसा हुआ सूखा धनिया मिलाकर दो चम्मच नित्य रात को गर्म दूध से फंकी लगातार एक-दो महीने लेने से मर्दाना शक्ति बढ़ती है।
अनिद्रा – दानामेथी का एक इंच मोटा तकिया बनवाकर अपने तकिये पर यह तकिया रखें। इसे सिर के नीचे लगाकर सोयें। गहरी निद्रा आयेगी।
स्तन सौंदर्य – मेथी के सेवन से स्तनों में उभार आता है। अल्पविकसित स्तन मोटे हो जाते हैं। स्तनों को मोटा करने के लिए दानामेथी की सब्जी खायें तथा दानामेथी में पानी डालकर पीसकर, चटनी बनाकर स्तनों पर मालिश करें।
घुटनों का दर्द – (1) हल्दी, गुड़, पिसी दानामेथी पानी की समान मात्रा में मिलाकर गर्म करके इनका लेप गर्म-गर्म रात को घुटनों पर करें। पट्टी बाँधकर रात को बँधी रहने दें। सुबह पट्टी खोलें। (2) पिसी दानामेथी एक चम्मच खाली पेट गुनगुने पानी के साथ नियमित लें। लाभ होगा। (3) मेथी के लड्डू खाने से जोड़ों का दर्द, हाथ-पैरों के दर्द में लाभ होता है।
आमवात – (1) एक गिलास पानी में तीन चम्मच दानामेथी रात को भिगो दें। प्रात: इसे तेज उबालकर, छानकर पानी पियें। इससे आँव बाहर निकल जायेगी और आमवात (जोड़ों के दर्द) में लाभ होगा। (2) एक चम्मच दानामेथी की फंकी गर्म दूध से लेने से पेट की चिकनाई साफ होकर वायु का प्रकोप कम होता है।
खाँसी – दो चम्मच दानामेथी दो कप पानी में उबालकर, पानी छानकर उसमें चार चम्मच शहद मिलाकर पीने से बलगम वाली खाँसी में लाभ होता है।
ज्वर – ज्वर तेज हो तो तीन चम्मच दानामेथी दो कप पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर छानकर नित्य तीन बार पियें। तेज ज्वर ठीक हो जायेगा। यह मेथी की चाय ज्वर को कम कर देती है।
हड्डी टूटना, वात – मेथीदाना में हमारे शरीर के अंदर के किसी भी भाग की टूटी हुई हड्डी तक को जोड़ने की गुण है। यह हाथ-पैर के एक-एक जोड़ के दर्द को ठीक कर देती है। दानामेथी पीसकर आटे में डालकर हलवा बनाकर खायें। फंकी भी ले सकते।
चोट – मेथी के पत्तों की पुल्टिस बाँधने से चोट की सूजन मिट जाती है। मेथी ज्वर दूर करती है। बालों को सफेद होने से रोकती है। कब्ज़ हो तो मेथी के पत्तों की सब्जी खायें।
बहुमूत्र – दानामेथी व हल्दी समान मात्रा में पीसकर दो-दो चम्मच दो बार फंकी लेने से लाभ होता है।
मधुमेह – (1) दानामेथी के सेवन से मधुमेह ठीक हो जाता है। इसके सेवन की मात्रा 25 से 100 ग्राम तक प्रति खुराक है। इसे किसी भी तरह सब्जी बनाकर, पीसकर आटे में मिलाकर रोटी बनाकर, दानों की फंकी किसी भी तरह ले सकते हैं। मेथी रेशेदार भोज्य पदार्थ है। चार चम्मच दानामेथी की नित्य तीन बार फंकी लेने से रक्त में ग्लूकोज की बढ़ी मात्रा पर नियंत्रण हो जाता है। यदि मधुमेह की कोई औषधि ली जा रही हो तो उसके साथ दानामेथी लेने से शीघ्र लाभ होगा।
दर्द – दानामेथी 20 ग्राम, हल्दी, सोंठ 10 -10 ग्राम मिलाकर एक – एक चम्मच सुबह शाम पानी के साथ लेने से दर्द में लाभ होता है।