[ अफीम का उपक्षार : an alkaloid of opium] – जैसा बेलेडोना के साथ ऐट्रोपिन का सम्बन्ध है वैसा ही अफीम के साथ ‘मॉर्फिनम‘ का सम्बन्ध है। किसी भी तरह की तकलीफ या दर्द से रोगी जब बहुत ज्यादा छटपटाने लगता है तो ऐलोपैथ डॉक्टर लोग इसी ‘मार्फिया’ का हाइपोडर्मिक इंजेक्शन दिया करते हैं। इससे 10-15 मिनट के अन्दर रोगी सो जाता है। होमियोपैथी में निम्नलिखित लक्षणों में इसका व्यवहार होता है और उससे फायदा भी होता है :-
- जरा-सा सिर किसी तरफ हिलाते ही सिर में चक्कर आने लगना, माथा भारी और गरम मालूम होना।
- आँखो के आगे अँधेरा दिखाई देना, कुछ भी दिखाई नहीं देना, जैसे चारों ओर अन्धकार ही अन्धकार हो।
- रोना – रोगी लगातार रोता है, किसी के साथ कुछ बातचीत, यहाँ तक कि चिकित्सक को अपनी बीमारी का हाल बताने में भी रो देता है।
- एकाएक मूर्च्छा, ऐसा मालूम होना कि अब मृत्यु सन्निकट आ पहुँची है।
- पैर इतने अस्थिर रहना कि ऐसा मालूम होना जैसे कोई दबा रखे तो अच्छा हो, पैर के भीतर अनगिनत कीड़े रेंगते-से मालूम होना।
- हाथ-पैर काँपना और उनमें अकड़न होना।
- बहुत ज्यादा सोने की इच्छा या अत्यधिक कमजोर महसूस होना, किन्तु पूरी तरह नींद नहीं आना, अर्ध-निद्रा और अर्ध-जाग्रत अवस्था में पड़ा रहना और सोते-सोते चौंक पड़ना।
क्रियानाशक – ऐवेना, ऐट्रोपिन, बेल, इपि।
सदृश – एपोमॉर्फ़ि, ओपि, कैमो, कॉफि, माॅस्कस।
क्रम – 3x से 6x विचूर्ण।