पसीने और पेशाब में दुर्गन्ध – यह अधिक नमक खाने से आती है। नमक खाने से कोशाणु मरते हैं और जब मरे हुए कोशाणु पसीने के साथ छिद्रों में से बाहर निकलते हैं तो तेज दुर्गन्ध आती है। अत: दुर्गन्ध से बचने के लिए नमक कम-से-कम खाना चाहिए।
फ्लू – केवल लहसुन और नमक की चटनी खाकर गर्म पानी पियें और कम्बल ओढ़कर सो जायें। इससे पसीना आयेगा और फ्लू ठीक हो जायेगा।
खटाई खाने से दाँत आम गए हों तो पिसे हुए नमक को दाँतों पर मलें। दाँत हिलता हो तो तिल के तेल में काला नमक बारीक पीसकर, मिलाकर मंजन करें।
गठिया या आमवात – यदि जोड़ों पर सूजन और दर्द तेज हो तो नमक या बालू मिट्टी गर्म करके पोटली में बाँधकर सेंक करें। दर्द और सूजन में आराम होगा।
सिरदर्द – (1) एक चुटकी नमक जीभ पर रखें, दस मिनट बाद एक गिलास ठण्डा पानी पियें, सिरदर्द ठीक हो जायेगा। (2) चौथाई कप जल में 3 ग्राम या तीन चने के बराबर नमक मिलाकर उस पानी को सूंघने से सिरदर्द में आराम होता है।
उच्च रक्तचाप – प्राय: यह मान्यता रही है कि उच्च रक्तचाप के रोगियों को नमक नहीं लेना चाहिए, लेना भी पड़े तो कम-से-कम लेना चाहिए। नमक कम-से-कम लेना मेरे विचार से उपयुक्त है।
जलना – नमक का गाढ़ा घोल बनाकर जले हुए पर लगाने से छाले नहीं पड़ते।
होंठ फटना – जरा-सा सेंधा नमक, मक्खन में मिलाकर होंठों पर लगाने से होंठ नहीं फटते।
दाद पर हर घण्टे बाद नमक को पानी में गूँधकर लेप करें। एक सप्ताह में दाद ठीक हो जायेगा।
अंगुलबेड़ा (Whitlow) – जब दर्द लगातार हो रहा हो तो नमक के पानी में अंगूठा या अँगुली डुबोये रखने पर दर्द घट जाता है।
पेशाब में रुकावट – एक चम्मच नमक दो चम्मच पानी में घोलकर एक रुई का फोआ भिगोकर नाभि पर रखें। पेशाब खुलकर आयेगा।
बलगम निकालने के लिए दो चम्मच घी में आधा चम्मच नमक मिलाकर गर्म करके सीने पर मालिश करें। गर्म पानी में तेज नमक घोलकर पिलायें।
गले के रोग – गले में कोई भी रोग हो जैसे टॉन्सिल, गला दर्द, आवाज बैठना, कौवा लटकना, गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करने से लाभ होता है।
हिचकी (Hiccough) – (1) सेंधा नमक, काला नमक और नित्य उपयोग में आने वाला नमक सब समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसकी आधी चम्मच गर्म पानी से लें तो हिचकी बन्द हो जायेगी। जिन बीमारियों में नमक बन्द किया गया हो, उनमें नमक का सेवन न करें।
नाखून बढ़ना – गर्म पानी में नमक मिलाकर एक महीने तक नाखूनों का सेंक नित्य 10 मिनट करें। नाखून बढ़ने लगेंगे। नाखून टूटते हों, दरारें पड़ती हों तो गर्म सरसों का 2 चम्मच तेल में चौथाई चम्मच नमक मिलाकर मालिश करें। नाखून नहीं टूटेंगे तथा नाखून चमकीले व पुष्ट हो जायेंगे।
दाँत – गर्म पानी में नमक डालकर कुल्ले करें। बारीक सेंधा नमक सरसों के तेल में मिलाकर मन्जन करें। इससे दाँतों में ठण्डा पानी लगना बन्द हो जाता है।
दाँत हिलना – काला नमक कपड़े से छान कर तिल के तेल में मिलाकर नित्य मंजन करने से दाँत मजबूत होते हैं।
दाँतों व मसूढ़ों में दर्द हो तो बारीक पिसा हुआ सेंधा नमक मलने से लाभ होगा।
बिच्छू काटना – (1) बिच्छू काटने पर जहाँ बिच्छू ने काटा हो, उसके विपरीत कान में नमक के संतृप्त घोल (Saturated Solution) की चार बूंद डालें, जैसे-दायें पैर में बिच्छू ने काटा हो तो बायें कान में चार बूंद डालें। इससे अतिशीघ्र आराम हो जायेगा। इस घोल को बिच्छू काटे स्थान पर लगायें तथा एक घूंट पी लें। यह अनुभूत है, सफल है।
संतृप्त घोल बनाने को विधि – (1) पानी में नमक डालते जायें और हिलाते जायें। जब नमक डालते-डालते हिलाने पर घुलना बन्द हो जाए तो यह घोल संतृप्त घोल बन जाता है। (2) एक भाग नमक, पाँच भाग पानी में मिलाकर काजल की तरह अाँख में लगाने से बिच्छू का जहर तुरन्त उतर जाता है। संतृप्त घोल लगाने से कीड़े-मकोड़े के काटे भी ठीक हो जाते हैं। (3) दो गिलास गर्म पानी में चार चम्मच नमक मिलाकर जिस जगह बिच्छू ने डंक लगाया हो उसे उस पानी में डुबोयें या कपड़ा भिगोकर रखें। इससे बिच्छू काटने पर होने वाली जलन, दर्द ठीक हो जाती है।