कारण – आयुर्वेद में मलेरिया को विषम ज्वर कहते हैं। यह मच्छरों से फैलता है। वैसे यदि व्यक्ति को साधारण बुखार आता हो और वह ख़राब भोजन कर ले तो पेट में अग्नि बढ़ जाती है और मलेरिया हो जाता है। यह रोग किसी भी मौसम में हो जाता है परन्तु वर्षा ऋतु में अधिक होता है क्योंकि उन दिनों पाचन क्रिया मंद पड़ जाती है।
लक्षण – इस बीमारी में वायु बढ़ जाती है। अतः सदैव बुखार ठण्ड लगकर आता रहता है तथा कँपकँपी लगती है। रोगी को गरम कपडे पहनने तथा लिहाफ ओढ़ने पर आराम मिलता है। शरीर में दर्द, बेचैनी घबराहट, भोजन में अरुचि, भूख का सूखना तथा आँखों में लाली का आ जाना आदि इस रोग के सामान्य लक्षण हैं। यह रोग पसीना आने के बाद उतरता है।
चिकित्सा – (1) शहद में तुलसी की पत्तियों को पीसकर मिला लें। फिर इसको सुबह शाम चाटें।
(2) – नीम की दो तीन कोपलें पीसकर शहद के साथ सेवन करें।
खान पान का ध्यान – मलेरिया के रोगी को दूध, चाय, पतले पदार्थ ही खाने चाहिए। फल में चीकू, पपीता, अंजीर, सेब, आलूबुखारा आदि का सेवन करना चाहिए। मुनक्का तथा किशमिश को तवे पर हल्के गरम करके सेंधानमक के साथ खाना चाहिये।