आजकल अनिद्रा रोग होना एक आम बात हो गई है। एक तो दैनिक जीवन और रहन-सहन भी ऐसा हो गया है कि आम तौर से, विशेषकर शहर के रहने वाले, रात में 12 -1.00 बजे तक जागते ही रहते हैं, दूसरे उनकी दिनचर्या और रोजमर्रा की समस्याओं से उत्पन्न होने वाला मानसिक तनाव उनकी नीद उड़ा देता हैr होमियोपैथी में केवल नींद लाने के लिए अलग से कोई खास दवा नहीं है, सिर्फ जिन कारणों और लक्षणों से नींद न आने का पता चलता हो, उनके लिए कुछ दवाएं ऐसी हैं, जिनके सेवन से अनिद्रा को दूर किया जा सकता है। दिन भर काम-काज में अत्यधिक व्यस्त रहने वाले व्यक्ति रात में बिस्तर पर लेट जाने पर भी दिमागी उधेड़बुन में उलझे रहते हैं और उनका दिमागी दफ्तर खुला रहता है। जब तक दिमाग का दफ्तर बंद न हो, तब तक नींद आए भी कैसे? दिमाग में जाग इस कदर भर जाती है कि सोना मुश्किल हो जाता है और जब ऐसी आदत पड़ जाती है, तब चाहने पर भी नींद नहीं आती। इसे ही अनिद्रा रोग होना कहते हैं।
अनिद्रा के होमियोपैथिक उपचार
इस रोग को दूर करने वाली, लक्षणों के अनुसार चुनकर देने योग्य, कुछ दवाओं के बारे में –
कॉफिया क्रूडा : दिमागी उतावलापन, कार्य करने की जल्दी, सिर में भयंकर दर्द, जैसे – सिर में कोई नाखून गड़ा रहा है, तीन बजे के बाद नीद नहीं आती, मानसिक व शारीरिक उद्विग्नता, अत्यधिक खुशी के बाद नीद न आना, अत्यधिक शोर, खुली हवा, तीक्ष्ण गंध, ठंड आदि से भी नीद उड़ जाना एवं गर्मी से राहत मिलने पर उक्त औषधि 200 शक्ति में तीन खुराक, सप्ताह में एक बार, कुछ समय तक लेना हितकारी होता है।
पैसीफ्लोरा : बेचैनी, अनिद्रा, शारीरिक व मानसिक थकान के कारण, कमजोर, वृद्ध एवं बच्चों में अनिद्रा, रात में खांसी आदि के कारण भी अनिद्रा होना, अत्यधिक कार्य करने के बाद दौरे पड़ना आदि लक्षण मिलने पर मूल अर्क में 30 से 70 बूंद तक औषधि एक बार में रात्रि में सेवन करनी चाहिए।
नक्सवोमिका : रात में 3 बजे के बाद फिर नींद नहीं आती, अत्यधिक दीनता से रोगी उठ जाता है, खाना खाने के बाद व शाम को उनींदापन बना रहता है, थोड़ी देर सोने पर भी रोगी आराम महसूस करता है, तो पहले 30 शक्ति में तत्पश्चात् 200 शक्ति में उक्त औषधि का सेवन करना चाहिए।
सल्फर : सोते में बोलना, ऐंठन महसूस करना, बार-बार उठना, फिर सो जाना, जरा-सी आहट से नींद खुल जाना, रात में 2 से 5 बजे के मध्य न सो पाना आदि लक्षण मिलने पर उक्त औषधि 30 एवं 200 शक्ति की कुछ खुराकें ही लेनी चाहिए। इसका रोगी बिस्तर की गर्मी से तो छटपटाता है, किंतु दाहिनी करवट सोने पर नीद आ जाती है।
ओपियम : अत्यधिक उनीदापन रहता है, किंतु नीद नहीं आती, झपकी लगने पर सांस उखड़ती-सी महसूस होना, दूर से आवाजें सुनाई पड़ना, बच्चे को कुते-बिल्ली के सपने दिखाई देते हैं, बिस्तर अत्यधिक गर्म महसूस होता है, जिसके कारण रोगी लेट नहीं पाता, सोने के बाद रोगी राहत महसूस नहीं करता आदि लक्षण मिलने पर उक्त औषधि 30 एवं 200 शक्ति में देना लाभदायक रहता है।
लाभदायक होमियोपैथिक टिप्स
• स्वरयंत्र का सूखापन, सूखी खांसी के साथ सांस में तकलीफ, फैरिंजाइटिस – ड्यूबोसिया
• कान का पुराना स्राव, बहरापन, बांए कान से मवाद निकलना, कान में सों-सों की आवाज होना – इलैप्स कार
• सूखे हुए मैल से नाक बंद हो जाना, रक्त स्राव, दर्द इत्यादि के लिए – इलैप्स कार