इस पोस्ट में हम निपाह वायरस ( Nipah Virus ) इन्फेक्शन के बारे में जानेंगे और उसकी कुछ होम्योपैथिक मेडिसिन की भी चर्चा करेंगे।
हम जानते हैं कि केरल राज्य में करीब 12 लोगों की Nipah Virus के कारण मृत्यु हो चुकी है और 22 से ज्यादा लोग अभी भी इस वायरस से इन्फेक्टेड हैं। NIV एक वायरल इन्फेक्शन है जोकि Nipah Virus के कारण हमें होता है। Nipah Virus एक RNA वायरस है और अगर हम इस वायरस के चपेट में आते हैं तो सबसे पहले हमें बुखार, खाँसी, सिर-दर्द, बदन-दर्द और भ्रम होने लग जाता करता है। बाद में यह वायरस हमारे दिमाग पे आक्रमण करता है और एक से दो दिन के बाद ही मरीज कोमा में चला जाता है। यह बहुत खतरनाक वायरल इन्फेक्शन है।
Nipah Virus इन्फेक्शन होने के कारण
Nipah Virus एक RNA वायरस है और यह सबसे पहले मलेशिया के निपाह गांव में पाया गया था और उसी से इसका नाम निपाह वायरस रखा गया। Nipah Virus ज्यादातर चमगादड़ से फैलता है और ऐसे चमगादड़ जो फल खाते हैं। Nipah Virus चमगादड़ के पाचन तंत्र में होता है और जब वो किसी फल को खाते हैं तो उनके लार उस फल चले जाते हैं। लार के कारण वो फल में Nipah Virus प्रवेश कर जाता है और अगर उस फल को खाया जाये तो वह वायरस हमारे शरीर में भी प्रवेश कर जाता है। जब इंसान निपाह वायरस से इन्फेक्टेड हो जाता है तो वो इंसान भी निपाह वायरस को फैला सकता है। यह एक फैलने वाली बीमारी है। Nipah Virus जानवरों से इंसानों को होता है और इंसानों से इंसानों में भी फ़ैल सकता है।
Nipah Virus इन्फेक्शन के लक्षण
इन्फेक्टेड मनुष्य में इसका लक्षण प्रकट होने में 3 से 14 दिन का समय लगता है। सबसे पहले इसमें बुखार होता है, सिर-दर्द होने लगता है, दिमागी संदेह ( भ्रम ) पैदा हो जाता है, उल्टियां होती हैं, मांसपेशियों में दर्द होता है, निमोनिया के लक्षण नजर आते हैं, हल्की बेहोशी छा जाती है और दिमागी सूजन हो जाता है। इसमें एक-दो दिन के अंदर ही मरीज की हालत ख़राब हो जाती है। चलने-फिरने में समस्या होती है, कुछ भी बड़बड़ाने लगता है और दिमाग काम करना बंद कर देता है। यह वायरस हमारे दिमाग पर असर करता है और दिमाग की नसों में सूजन पैदा कर देता है, जिसके कारण मरीज 24 से 48 घंटे में कोमा में चला जाता है। इसमें मरीज को सांस लेने में भी समस्या होती है। Nipah Virus बहुत आसानी और तेजी से एक-दुसरे में फ़ैल जाता है।
यहाँ कुछ होम्योपैथिक दवा बताई जा रही है जिसके इस्तेमाल से यह वायरस आपको नहीं लगेगा।
Nipah Virus इन्फेक्शन का होम्योपैथिक दवा
Influenzinum 200 – यह बहुत अच्छी मेडिसिन है वायरल इन्फेक्शन के लिए और यह वायरल इन्फेक्शन से सुरक्षा प्रदान करती है। इस मेडिसिन को लेने से आप Nipah Virus के आक्रमण से बच जाते हैं। इस मेडिसिन को 200 पोटेंसी में दो बून्द 3 दिन तक लगातार सुबह में खाली पेट जीभ पर टपकाना है। 3 दिन पूरे होने पर हफ्ते में एक बार दो बून्द जीभ पर तब तक टपकाना है जब तक यह वायरस का खतरा बना रहे। यह मेडिसिन इस वायरस से आपको बचाए रखेगा।
Belladonna 30 – Influenzinum के साथ-साथ बेलाडोना का भी सेवन करें। यह मेडिसिन भी Nipah Virus से बचाए रखता है। इसे 30 पोटेंसी में रोज रात में दो बून्द जीभ पर टपकाना है। यह Nipah Virus से तो बचाती ही है और अगर वायरस से इन्फेक्टेड हो भी जाएँ तो यह उसी समय इस वायरस को नष्ट कर देता है। Nipah Virus का प्रकोप जब तक रहे इसका सेवन करते रहें और इसका कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं है। यह शरीर में इम्युनिटी बढ़ाता है ताकि Nipah Virus से शरीर लड़ सके। अगर किसी को Nipah Virus इन्फेक्शन हो गया है तो इस मेडिसिन को अवश्य याद रखें। Nipah Virus के सम्पूर्ण लक्षण इस मेडिसिन में मौजूद हैं। अगर पूर्ण रूप से ज्ञात हो जाए कि Nipah Virus संक्रमण हुआ है तो Belladonna 30 की दो बून्द हर दो घंटे पर देते रहें।
Gelsemium Sempervirens 30 – बुखार, सर्दी, वायरल में यह मेडिसिन अच्छा काम करती है। Nipah Virus के संक्रमण के बाद मरीज बहुत सुस्त और कमजोर हो जाता है। यह मेडिसिन शरीर के इम्युनिटी को बढाती है। Nipah Virus में इस मेडिसिन की 30 पोटेंसी को हर तीन घंटे से अंतर से सेवन कराना है। Nipah Virus के लक्षण में इससे अवश्य आराम आएगा।
कुछ बातें जो जानना आवश्यक है :-
सूअर से दूर रहें।
ऐसे फल बिल्कुल नहीं खाएं जिन्हे पक्षियों ने खाया हो। फलों को बहुत सावधानी से चेक करें। बाहर खुले में मिलने वाले जूस का सेवन न करें।
खजूर का प्रयोग बंद कर दें।
चमगादड़ों के आस पास न जाएँ।
कोई भी यात्रा आवश्य
क हों तभी करें, क्यों की ये फैलने वाला रोग है।
बाहर का कुछ भी न खाएं।
यह सूअरों से भी फैलता है तो उसका मांस हरगिज मत खाएं।