[ ताजा तुलसी के पत्ते से मूल-अर्क तैयार होता है ] – यद्यपि इस दवा का अन्य बीमारियों में भी उपयोग होता है, तथापि – पेशाब में यूरिक एसिड, पेशाब की तली में लाल रंग के बालू जैसे कण जमना, स्तन और पुट्ठे की गाँठ फूलना, मूत्र-पथरी ( दाहिनी ओर के मसाने में दर्द ), वमन, दमा, सर्दी-खाँसी, बदबूदार स्राव निकलना इत्यादि कई बीमारियों में इससे बहुत फायदा होता है।
पेशाब में अम्ल या यूरिक एसिड का भाग बहुत ज्यादा हो, पेशाब गंदला और गाढ़ा हो, पेशाब में पीब, रक्त, ईंट के चूरे की तरह लाल या पीले रंग की तली जमें, कस्तूरी सी गंध हो, मूत्रनली और किडनी में दर्द इत्यादि उपसर्ग किसी भी रोगी में दिखाई दे तो औसीमम कैनम दवा का उपयोग करना अच्छा रहता है और इससे फायदा होता है। यह – बर्बेरिस, पैरिरा और आर्टिका के सदृश दवा है।
स्त्री के योनि की सूजन, स्तन को छूने मात्र से ही दर्द करना और ऐसा महसूस होना की वो बहुत भारी हो गया है तो इन लक्षण में औसीमम कैनम का उपयोग लाभ देता है।
क्रम – 6 से 30 शक्ति।