इस मेडिसिन का हिन्दी नाम पित्तपापड़ा है। यह ज्वर की बहुत ही अच्छी दवा है और दुसरे ज्वर की अपेक्षा साधारणतः पैत्तिक ज्वर में ही अधिक उपयोगी है। इसका ज्वर प्रायः एक दिन अधिक व एक दिन कम होता है। ठण्ड लगकर ज्वर आता है, सिर पकडे रहता है, प्यास लगती है, आँख-मुँह, हाथ पैर जलते हैं, पित्त-कै, पित्त का दस्त होता है, ये सभी इसके लक्षण हैं।
पुराने ज्वर में – होम्योपैथिक का नैट्रम म्यूर, आर्स प्रभृति से फायदा न होने पर – इसका व्यवहार करना चाहिए।
नए ज्वर में – Q, 3x, 6x शक्ति। पुराने ज्वर में 30 शक्ति फायदेमंद है।