चोट लग जाने, सूजाक आदि के कारण अण्डकोष की थैली की त्वचा फूल जाती है और उनमें दर्द, जलन, सूजन आदि लक्षण रहते हैं । इसी स्थिति को अण्डकोष-प्रदाह कहते हैं । यहाँ पर हाइड्रोसिल का भ्रम नहीं होना चाहिये ।
एपिस मेल 30- दर्द, जलन, सूजन, लालिमा, डंक मारने जैसा दर्द इन लक्षणों में लाभ करती है ।
आर्सेनिक एल्ब 30– दर्द में सेंकने से आराम मिले, रोगी व्याकुल हो, प्यास लगे- इन लक्षणों में देनी चाहिये ।
एसिड फॉस 30– कमजोरी, अत्यधिक विलासिता का इतिहास हो, प्रदाह भी हो- इन लक्षणों में लाभप्रद रहती है ।
क्रोटन टिग 30- अण्डकोष-प्रदाह के साथ-साथ उन पर एक्जिमा जैसे दाने निकल आयें, खारिश हो, खुजलाने की इच्छा हो पर खुजलाने से कष्ट बढ़े, दर्द से नोंद न आती हो- इन लक्षणों में दें ।
ग्रेफाइटिस 30- खाजयुक्त तर दाने निकल आयें जिनसे गाढ़ा मवाद भी आता हो तो लाभ करती है ।