[ घातव-पदार्थ से विचूर्ण के आकार में तैयार होती है ] – यद्यपि इस दवा का कई बीमारियों में भी उपयोग होता है, किन्तु यह श्वास-यन्त्र की उत्तेजना, श्लेष्मा, ट्रेकिया में दर्द, आँख की कई बीमारियों और मसाने की बीमारी में ही ज्यादा उपयोग होती है।
श्वासयंत्र की बीमारी – जबरदस्त आक्षेपिक खाँसी, खाँसने के समय ऐसा मालूम होना जैसे गला छिल जाएगा, गले में कुटकुट होना, खाँसी आना, गले में दर्द होना, बोलने पर भी स्वरयंत्र में दर्द होना। गला फंस जाना, स्वरभंग हो जाना, नया गलकोष-प्रदाह, गले से सख्त डोरी के समान बलगम निकलना। सूखी घंघं आवाज वाली खाँसी, ऐसा मालूम होना जैसे रोगी डेकची के भीतर से खाँस रहा है, खाँसी के साथ छींक।
आँख की बीमारी – आँखों में जबरदस्त दर्द और आँखों से पानी गिरना, बत्ती की रोशनी के चारों ओर हरा-हरा या इन्द्रधनुष जैसा रंग दिखाई देना। ग्लूकोमा, कंजंक्टिवाइटिस ( आँखों का प्रदाह ), धुँधलापन, अस्पष्ट दीख पड़ना, आँखों में जलन और करकराहट में ऑस्मियम मेटालिकम से लाभ होता है।
पेशाब की बीमारी – पेशाब में एल्ब्यूमेन और बहुत ही तेज गंध, रंग भूरा, परिमाण में थोड़ा, लाल रंग की तली जमना।
चर्म-रोग – एक्जिमा, प्रुराइटिस, घमौरी और उसमें बहुत खुजली, बगल में पसीना होना और उसमे लहसुन सी गंध आना जैसे लक्षण में ऑस्मियम मेटालिकम से फायदा होगा।
क्रम – 3x से 200 शक्ति।