एक या दोनों कानो से पीब या मवाद निकलने की क्रिया को कान बहना या कान पकना कहा जाता है । पीब – मवाद बहने की क्रिया कभी लगातार चालू रहता है कभी कुछ समय के अन्तराल पर होता रहता है। इससे बहरापन होने का खतरा बना रहता है ।
कान से मवाद या पस निकलने की समस्या ईयर कैनाल या मिडिल ईयर में इंफेक्शन का संकेत हो सकता है। सर्दी, साधारण बुखार या चोट लगने की वजह से कान में संक्रमण की समस्या हो सकती है। कान में छेद होने के कारण भी कान से मवाद आ सकते हैं। आज इस वीडियो में हम कान से मवाद आने की समस्या को ठीक करने की होम्योपैथिक दवा की चर्चा करेंगे।
Kali Bich 30 – अगर कान से सूतदार, गाढ़ा, चिपचिपा पीला स्राव निकलता हो, बदबूदार हो, बायें कान में तेज़ चुभन का-सा दर्द हो, तब दो ।
Hepar Sulphur 30 – अगर कान में ज़ख्म होने पर उससे मवाद आता हो। ठंड से कान के भीतर के भाग में शोथ हो जाती है, वहा जख्म बन जाता है, कान का पर्दा फट जाता है, कान में असहनीय पीड़ा होती है, खून मिला स्राव निकलता है। पहले ऐसा लगता है कि कान बन्द हो गया, बाद को कान में बोझ-सा महसूस होता है, फिर कान का पर्दा फट जाता है, पस निकलती है, गाढ़ा स्राव निकलता है जिसमें पनीर के टुकड़े जैसे होते हैं, सड़े हुए पनीर की बू आती है और रोगी से खटास की गन्ध निकलती है। इनमें Hepar Sulphur 30 लाभ करता है। Ear Drum में छेद हो जाने पर भी इससे वह छेद ठीक हो जाता है।
Silicea 30 – अगर कान की हड्डी के क्षय के कारण कान के मवाद जाता हो, तब यह उपयोगी है । ऐसे रोग में इस औषधि का कई दिन तक प्रयोग करना पड़ता है । इस औषधि के विषय में यह समझ लेना आवश्यकता है कि साइलीशिया हमारे बाल, नख, त्वचा, भीतर के अंगों के आवरण, स्नायु-मंडल, मांस-पेशी हड्डी-सब जगह पाया जाता है। जब परिपोषण-क्रिया का अभाव होता है, तब सब प्रकार के रोग उठ खड़े होते हैं। बाल झड़ने लगते हैं, नख टेढ़े हो जाता हैं, हड्डियां गलने-सड़ने लगती हैं, त्वचा पर फोड़े-फुन्सी हो जाते हैं, उनमें पस पड़ जाती है, कार्बंकल, भगंदर आदि भयंकर फोड़े भी हो जाते हैं। ये सब तकलीफें इसलिये होती हैं क्योंकि शरीर में परिपोषण-क्रिया ठीक से नहीं हो रही होती। साइलीशिया, जो नाख़ून से शिर तक हमारे प्रत्येक अंग में मौजूद है, उसका काम परिपोषण-क्रिया को ठीक बनाये रखना है। शक्तिकृत साइलीशिया, परिपोषण-क्रिया के अभाव को दूर कर देता है और शरीर का स्वास्थ्य सुधार कर फोड़े, कार्बंकल, विसहरी, भगंदर, कान के मवाद आना आदि को दूर कर देता है।Aurum Met 30 – अगर Ear Drum का पूरी तरह नाश हो गया हो और कान की अस्थियों के क्षय से मवाद बहता हो, कान का छेद पस से भरा रहता हो, इसका कारण उपदंश रोग (सिफिलिस) हो, तब उपयोगी है।
Tellurium 6 – कान बहने का बहुत पुराना रोग इस औषधि की 6 शक्ति से ठीक हो जाता है, दूसरी शक्ति काम नहीं करती। कान से स्राव बहता है, कान में लगता है, पतला होता है, बदबूदार होता है।
Pulsatilla 30 – जैसे हाल के कान से मवाद में यह उपयोगी है वैसे ही यह पुराने रोग में भी उपयोगी है, अगर खसरे (Measles ) के बाद कान से मवाद आने लगे, तब भी यही देना चाहिये ।
Graphites 30 – इस औषधि का स्राव चिपचिपा, शहद जैसा होता है, जहाँ त्वचा को छूता है वहाँ छाले पड़ जाते हैं।
Merc Sol 30 – अगर पीला या रक्त-मिश्रित स्राव निकलता हो तो इसे दें। प्रायः सिफ़िलिस के रोगियों में जिनका पारे की औषधियों से उपचार हो चुका होता है विशेष उपयोगी है।
Psorium 200 – कान के पुराने रोग में जब किसी दवा से लाभ न हो तब इस औषधि का प्रयोग करना चाहिये ।
मूलेन वायल Q – पीब होने पर कान में दिन में तीन-तीन बार दो-दो बूंद की मात्रा लगातार तीन माह तक डालने से काफी लाभ होता है। यह नए और पुराने दोनों तरह के रोग में प्रयोग करें।
हिपर सल्फर Q, 30 – इस दवा का मूल अर्क कान में डालने पर कान में होने वाला घाव सुख जाता है और दर्द आराम हो जाता है | कान से गाढ़ा – पीला श्र!व होने पर हिपर सल्फर 30 दिन में दो बार जीभ पर देने से घाव सूख जाता है।
साइलेसिया Q, 30 – कान से पतला रस जैसा श्र!व होने पर साइलेसिया 30 देने से घाव सूख जाता है एव यंत्रणा खतम हो जाता है |
पल्सेटिला 6, 30 – बिना बदबू के कान से गाढ़ा श्र!व होने पर पल्सेटिला 30, दिन में दो से तीन बार इस्तेमाल करें |
सोरिनम 200,1M – जो लोग भींगे या सीलन भरे जगह में रहते हैं ,और कान से बुरी तरह बदबू आ रही हो तो उनके लिए उपयोगी है। इसके प्रयोग से प्रारंभ में मवाद निकलना बढ सकता है इसके बाद एक -दो दिन में ही कान सूखने लगता है।
ऑरम मेट 6 – जो देखने में मोटे-ताजे हैं, जिनका पेट मोटा हो,आत्महत्या करने की इच्छा बलवती हो, कान से बहुत ही बदबूदार मवाद निकलता रहे तो यह दवा लाभकारी है।
क्रियोजोटम 30 – कान से सड़ी दुर्गन्ध आ रही हो, दांत काले पड़ गए हों तो इससे दुर्गन्ध दूर हो जाती है । यह केवल कानो के दुर्गन्ध को ही दूर नहीं करती बल्कि शारीर के किसी भी स्थान से सड़ी दुर्गन्ध आ रही हो तो उसे भी दूर कर देती है ।
मर्क वाइवस 6x, 30 – रक्त मिली पीब, तीब्र दर्द, दर्द रत को बढना, ग्रन्थि फुल जाना। चेचक के बाद कान बहने लगना ।
कप्सिकम 6, 30 – कर्णपटह में छेद, घनी पीले रंग की पीब, उसके साथ अत्यंत सिर -दर्द तथा जलन।