[ ताजी जड़ से मूल-अर्क तैयार होता है ] – नितम्ब की हड्डी के निचले अंश के प्रायः सब तरह के घावों, बवासीर तथा बवासीर से रक्तस्राव, मलद्वार के फटे घाव, क्षत, पेरिनियम में क्षत, भगन्दर ( fistula in ano ) आदि बीमारियों में इससे विशेष फायदा होता है। इसका मदर टिंचर ( मूल-अर्क ) या लिनिमेण्ट – क्षत या घाव में लगाया जाता है।
मलद्वार से हमेशा ही रस निकलता है और वहाँ दर्द तथा तनाव बहुत अधिक रहता है। डॉ ह्यूजेस का कहना है – कमर के नीचे कहीं भी घाव क्यों न हो, वह पियोनिया से ठीक हो जाता है।
मलद्वार में खुजली, फूलना, जोर की जलन, पाखाने के बाद भीतर बहुत जाड़ा मालूम होना, भगन्दर और अतिसार, तकलीफ देने वाला जख्म, पेरिनियम के ऊपर से लगातार बदबूदार स्राव बहा करना, बवासीर, मलद्वार का फटना इत्यादि भी पियोनिया से ठीक होता है।
पियोनिया – बाईं छाती में खोंचा मारने जैसा दर्द तथा कलाई, घुटने, हाथ और पाँव की, उँगलियों के दर्द की भी दवा है। इस दवा का लक्षण है कि कलेजा का दर्द हृत्पिण्ड के भीतर पीठ में चला जाता है।
चेहरे और सिर में खून का बहाव तेज हो जाता है। सिर की नसों में दर्द रहता है और कभी-कभी चक्कर भी आता है। आँखों में जलन होना और कान में आवाज़ जैसा आना लक्षणों में पियोनिया का प्रयोग करें।
रोगी को अजीब-अजीब दुःखी और डरावने सपने आते हैं, ऐसे में पियोनिया दवा लाभ करता है।
क्रम – निम्न शक्ति।