विवरण – जरायु में दर्द का अनुभव, सम्पूर्ण वस्ति प्रदेश में टपक जैसा दर्द – जो हिलने-डुलने अथवा ऋतुस्राव के समय बढ़ती हो, नींद न आना, बेचैनी तथा पाकाशय में गड़बड़ी आदि लक्षण प्रकट होते हैं।
इस रोग में लक्षणानुसार निम्न औषधियाँ लाभ करती हैं :-
सिमिसिफ्यूगा 3x, 30 – यह इस रोग की मुख्य औषध है ।
आर्निका 6 – ऋतुकाल में अधिक परिश्रम अथवा प्रसवोपरान्त अधिक चलने-फिरने के कारण रोग हुआ हो तो इसे दें ।
विशेष – यदि इस रोग में पाकस्थली में दर्द तथा आमाशय की गड़बड़ी भी हो तो निम्नलिखित औषधियों का लक्षणानुसार प्रयोग करें :- नक्स-वोमिका 30, पल्सेटिला 6, कैमोमिला 6 तथा मर्क्युरियस 6।
जरायु में दर्द (Pain in Uterus)
जरायु में विभिन्न कारणों से दर्द होने पर निम्नलिखित औषधियाँ दें :-
सिमिसिफ्यूगा 3 – जरायु में चिरमिराहट, सुरसुराहट, स्नायविक दर्द, वात पीड़ा, अनिद्रा तथा बेचैनी के लक्षणों में इसका प्रयोग करें ।
मैग्नेशिया-म्यूर 30, 200 – जरायु में आक्षेप और अकड़न का दर्द, जोकि जांघों तक जाता हो तथा उसके बाद प्रदर-स्राव होता हो तो इसका प्रयोग करें ।
जरायु में जल संचय
यदि जरायु में जल-संचय हो तो सिपिया 6, 30 को अगले दिन में 4 बार देना उचित है ।
जरायु में वायु-संचय
यदि जरायु में वायु-संचय की शिकायत हो तो निम्नलिखित औषधियों में से किसी का भी प्रयोग करें:-
ब्रोमियम 30 – इसे प्रति 4 घण्टे बाद दें ।
बेलाडोना 3, 3x – इसे प्रति 4 घण्टे बाद दें ।
लाइकोपोडियम 12 अथवा एसिड-फॉस – ये दवा भी हितकर रहती है ।