शरीर शास्त्रियों के मतानुसार हम मानव-शरीर को पाँच भागों में बाँट सकते हैं :-
- सिर (Head)
- गला (Neck)
- धड़ (Body)
- अर्ध्व शाखायें (Upper Limbs)
- निम्न शाखायें (Lower Limbs)
(1) सिर – शरीर के उस भाग को कहते हैं जिसमें आँख, नाक, कान और मुँह आदि अंगों का समावेश है। सिर को भी सुविधा की दृष्टि से दो भागों में बाँटा गया है :-
- कपाल (Cranium)
- चेहरा (Face)
(2) गला – सिर और धड़ के मध्य वाले हिस्से को ‘गला’ कहते हैं। इस भाग में साँस नलिका और भोजन प्रणाली के अंगों का समावेश है।
(3) धड़ – उपर्युक्त दोनों भागों के पश्चात् मानव शरीर के नीचे का भाग ‘धड़’ कहलाता है। यह एक खाली-सी जगह है, जिसमें फुफ्फुस (Lungs), हृदय (Heart), अन्न-प्रणाली (Gullet), आमाशय (Stomach), आंतें (Intestines), यकृत (Liver), तिल्ली (Spleen) और वृक्क (Kidney) इत्यादि अंगों का समावेश है।
(4) उर्ध्व शाखाएँ – जहाँ (जिस स्थान पर) गर्दन धड़ से जुड़ती है, वहाँ से ऊपर की शाखाएँ ही ‘उर्ध्व शाखाएँ’ कहलाती हैं। इनके निकलने का स्थान भी यही है। उर्ध्व शाखाओं के दो भाग होते है :- (1) दाहिना (Right), (2) बाँया (Left) ।
(5) निम्न शाखाएँ – धड़ के नीचे ‘निम्न शाखाएँ’ लगी रहती हैं। उर्ध्व शाखाओं की ही भाँति इनके भी दो भाग (दाँया, बाँया) होता है।
हमारे शरीर के संस्थान और उनके कार्य
हमारा शरीर एक होकर भी अनेक भागों में बँटा हुआ है। इन पृथक्-पृथक् भागों को जो विशेष कार्य करते हैं उन्हें ‘अंग’ या ‘अवयव’ (Organ) कहा जाता है, और ‘अंग’ जो विशेष कार्य करता है वह उसकी क्रिया (Function) कहलाती है। उदाहरणार्थ – आँख हमारे शरीर का एक अंग है जिसका विशेष कार्य है – देखना। इसी प्रकार कान का विशेष कार्य है ‘सुनना’, आमाशय (Stomach) पाचन क्रिया का एक अंग है जिसका विशेष कार्य है ‘भोजन को पचाना’।
इस प्रकार जब बहुत से अंग मिलकर एक कार्य करते हैं, तब उसको ‘संस्थान’ (System) कहा जाता है। हमारे शरीर में इस प्रकार निम्नलिखित 9 संस्थान हैं।
1. अस्थि संस्थान – इस संस्थान को अँग्रेजी में The Body या Skeleton System कहा जाता है। इस संस्थान का कार्य कंकाल को बनाना है।
2. माँस संस्थान – इस संस्थान को अँग्रेजी में The Muscular system के नाम से जाना जाता है। इस संस्थान का कार्य शरीर को गतिशील रखना है।
3. सन्धि संस्थान – इस संस्थान को अँग्रेजी में Syndesmalogy के नाम से जाना जाता है। यह संस्थान सन्धियों द्वारा शरीर को गतिशील रखता है।
4. रक्त वाहक संस्थान – इस संस्थान को अँग्रेजी में The Circulatory system के नाम से जाना जाता है। इस संस्थान का कार्य समस्त शरीर में रक्त (Blood) का संचार करते रहना है।
5. पाचक (पोषण) संस्थान – अँग्रेजी में इस संस्थान को The Digestive System के नाम से जाना जाता है। इस संस्थान का कार्य भोजन को पचाकर शरीर का पोषण करना है।
6. श्वासोच्छवास संस्थान – इस संस्थान को अँग्रेजी में The Respiratory System के नाम से जाना जाता है। यह संस्थान श्वास-प्रश्वास क्रिया करता है।
7. मूत्रवाहक (त्यागन) संस्थान – इस संस्थान को अंग्रेजी में The Exeretory या The Urinary System के नाम से जाना जाता है। यह संस्थान मूत्र या त्याज्य पदार्थों को शरीर से बाहर निकालकर शरीर को शुद्ध करता है।
8. वात नाड़ी संस्थान – इस संस्थान को अँग्रेजी में The Nervous System के नाम से जाना जाता है। यह संस्थान सोच-विचार का कार्य करता है।
9. उत्पादक संस्थान – इस संस्थान को अँग्रेजी में The Reproductive System के नाम से जाना जाता है। यह संस्थान उत्पादन (सन्तानोत्पति) क्रिया करता है।) ।