इस रोग में पेट में वायु रुक जाती है और अफारा सा बनता है । इससे रोगी को बहुत पीड़ा होती है । पुराना कब्ज़, उल्टा-सीधा खान-पान, गलत दिनचर्या, पोष्टिक भोजन का अभाव, गरिष्ट पदार्थों का अधिक सेवन आदि से यह रोग होता है ।
इलाज़ – (1) हरड़, जवाखार, काला नमक, अजवायन और भुनी हींग – इन सबको कूट पीसकर चूर्ण बन लें। इसमें से 6 ग्राम चूर्ण लेकर शहद के साथ चाटने से अफारा मिटता है।
(2) रेंडी का तेल 30 ग्राम लेकर उसमे 6 ग्राम हरड़ का चूर्ण मिलाकर दूध के साथ पी लें – इस प्रयोग से भी अफारा मिटता है ।