[ एक प्रकार के वृक्ष के गोंद से इसका मूल-अर्क तैयार होता है ] – हृत्पिण्ड की बीमारी की यह एक महौषधि है। इसके सिवा – बहुमूत्र और वक्षःस्थल की कई बीमारियों और सिर-दर्द में भी इससे अकसर बहुत फायदा होता है।
वक्षःस्थल की बीमारी – बहुत कलेजा धड़कना, नाड़ी तेज चलना, श्वास-प्रश्वास धीमा, दीर्घ श्वास, हृत्पिण्ड के चारों ओर दर्द, वक्षावरक झिल्ली और पेरिकार्डियम में पानी इकट्ठा हो जाना, इस तरह की कई बीमारियों और लक्षणों में इसका प्रयोग करने से बहुत फायदा होता है।
हृत्पिण्ड की बीमारी – बहुत ही जोर-जोर से कलेजा धड़कने में क्रैटिग्स की तरह हाथ-का-हाथ इससे फायदा होता है। हृदयरोग की अन्तिम अवस्था में नाड़ी नहीं मिलना में फेसियोलस का उपयोग करें।
आँखों की बीमारी – आँखों की पुतली फैल जाना, रोशनी सहन नहीं होना, आँखों में दर्द। ऐसे लक्षण में फेसियोलस का उपयोग लाभदायक है।
सिर दर्द – केवल कनपटी के सामने की तरफ दर्द, जरा-सा हिलने-डोलने से या मानसिक चिंता से दर्द बढ़ जाना।
बहुमूत्र – बहुमूत्र या बहुमूत्र की तरह परिमाण और एक बार में ज्यादा पेशाब होना।
सदृश – क्रैटिग्स, लैकेसिस।
क्रम – Q, 1, 3, 6 और 12 शक्ति।