इसका दूसरा नाम बोलिटस है। कोटेडियन सविराम ज्वर में ( नित्य 24 घण्टे के अंतर के ज्वर में ) थोड़ा पसीना, उससे ज्वर न घटना और थाइसिस में रात को अधिक को अधिक पसीना होने में अधिक फायदा करता है। थाइसिस में 1/4 से 1/2 ग्रेन की मात्रा में व्यवहार करना चाहिए।
ज्वर – पहले मेरुदण्ड में शीत, उत्ताप में मानो शरीर में आग है ऐसा मालूम पड़ना, शीतावस्था में जम्हाई आना, शरीर का टूटना, कन्धा, गाँठों और कमर में भयानक चबाने-सा दर्द, रात में बहुत पसीना आने के लक्षण में polyporus officinalis लाभ करता है।
सिर – सिर खोखला मालूम पड़ता है, अंदर तक दर्द होता है, जीभ मोटी और पीली मैल चढ़ी होती है, दांत में दरार रहती है और मिचली के लक्षण होते हैं।
त्वचा – त्वचा गर्म और सूखी रहती है, खासकर हथेली। कन्धे और बाजुओं में खुजली होती है।
सम्बन्ध – एगारिसीन, पोलीपोरस, बोलेटस ल्यूराडस, बोलेटस सैनेटस से इस औषधि की तुलना किया जाता है।
मात्रा – पहली शक्ति ज्यादा फायदा करता है।