गुदा का अन्तिम भाग मलद्वार के बाहर आ जाता है जिसे काँच निकलना कहते हैं । इसमें मलद्वार पर सूजन भी आ जाती है । यह मल-त्याग या मूत्र-त्याग के समय बाहर निकल आती है। कब्ज, बवासीर, पेचिश, मलत्याग के लिये अधिक जोर लगाना आदि के कारण यह रोग हो जाता है।
नक्सवोमिका 30, 200– मल-त्याग के लिये जोर लगाने पर काँच निकलने की दशा में देनी चाहिये । इसमें पाखाने का वेग बना रहता है ।
फॉस्फोरस 30, 200- मल कठोर हो, कुत्ते के मल की तरह का हो, काफी कठिनाई से निकलता हो और उसके साथ ही काँच भी निकल आई हो तो इसे देना चाहिये ।
लाइकोपोडियम 30, 200– कठोर मल के साथ काँच निकल आई हो, मल का पहला भाग कठोर व पिछला भाग नरम हो तो इसे दें ।
सल्फर 30, 200- बहुत कठोर मल आये, जल जाने की तरह जलन हो, कम मात्रा में मल आये, काफी जोर लगाना पड़े तो देनी चाहिये ।