वात के दर्द के साथ बहुत दस्त, उदरामय, पहले थोड़ा ज्वर होकर उसके 2-1 दिन बाद ही नया वात, वातजनित मुंह में स्नायुशूल का दर्द, वात छाती में फैल जाकर हृत्पिण्ड में यन्त्रणा होना, कलाई व एड़ी में भयानक दर्द, थोड़ा भी हिल-डोल नहीं सकता, बेचैनी, प्यास, वात के कारण अंगुली से एक सुई भी पकड़ने पर मालूम पड़ता है मानो कितनी भारी है, अँगुलियों में झुनझुनी लगने का भाव व सुन्नपन, कलाई में दर्द, एड़ी के दर्द के कारण खड़ा नहीं हो सकता।
इस औषधि के मदर टिंचर की 10-15 बून्द 6 औंस पानी में मिलाकर हर दो घण्टे के अन्तर से 2-1 चम्मच की मात्रा में न घटने तक सेवन करना चाहिए।