इस रोग निदान के लिए शल्यचिकित्सा के क्षेत्र में टी.यू.आर और लेजर जैसी पद्धतियों के शामिल किये जाने से काफी प्रगति हुई है जिसके परिणामस्वरूप कम रक्तस्राव, संक्रमण की कम संभावना और अस्पताल में कम समय तक ही रहना पड़ता है। किन्तु कुछ जटिलताएं, जैसे (1) कैथेटर के कारण संक्रमण (2) असंयत मूत्रता या (3) वृद्धावस्था में संज्ञाहहरण सम्बन्धी जटिलताएं ( अनेस्थेटिक कॉम्प्लिकेशन ) को कम नहीं आंका जाना चाहिए।
होम्योपैथी : ऐसे केसेज में मेरा होम्योपैथी उपचार इस प्रकार है :
- पॉपुलस ट्रेमयूलॉयड्स 30 और सबाल सेरुलेटा 3x पर्यायक्रम से।
- इक्वीजेटम Q 5-8 बूंद पानी में भोजन के बाद।
निम्नलिखित केस से एलोपैथिक उपचार के खतरों और होम्योपैथी की जीवन रक्षक शक्तियों का पता चलता है।
केस
राजधानी में एक अग्रणी चिकित्सक का एक सुविख्यात मूत्ररोग विशेषज्ञ द्वारा ऑपरेशन किया गया। उस बेचारे चिकित्सक पर दु:खों का पहाड़ उस समय टूट पड़ा जब उन्हें कैथेटर से संक्रमण हो गया, जिसके कारण उन्हें असंयतमूत्रण (इनकांटिनेंस) की शिकायत हो गई। आपातकालीन उपयोग के लिए नवीनतम एंटीबायोटिक्स विदेश से आयात किए गए जिससे संक्रमण पर नियंत्रण तो पा लिया गया, किंतु उसने बिंबाणुओं (प्लेटलेट्स) के स्तर को उस खरतरनाक सीमा तक गिरा दिया जिसके कारण उन्हें रक्तमेह (पेशाब में खून आना), अत्यधिक अवसन्नता, रक्तहीनता और तीव्र निराशा हो गई। अब और अधिक एलोपैथिक औषधियों को देने का कोई रास्ता नहीं बच गया था। ऐसी स्थिति में जब वह शैय्याग्रस्त थे तो मुझसे परामर्श लिया गया और मेरे निम्नलिखित उपचार ने उनकी सहायता की :-
कैलीफास 30 + एनाकार्डियम 30 ने अधिक मात्रा में दी जाने वाली एलोपैथिक प्रशांतक औषधियों (ट्रैक्वीलाइजर्स) की आवश्यकता समाप्त कर दी। इसने उनकी निराशा को भी नियंत्रित कर लिया।
पॉपुलस ट्रेम्यूलायड्स 30 और सबाल सेरुलेटा 3x एवं ईक्वीजेटम 3x ने समस्त मूत्र संबंधी रोग लक्षणों को नियंत्रित किया।
बाद में, जब मूत्र संबंधी रोग लक्षणों पर नियंत्रण पा लिया गया तो उनकी दुर्बलता दूर करने के लिए मैंने उन्हें चायना 30 + नक्स वोमिका 30 + कार्बोवेज़ 30 दिया।
प्रोस्टेट ग्रन्थि की सूजन, बढ़ जाना, आदि, के रोग यहाँ दिए गए हैं ।
पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि के रोग की उत्तम होम्योपैथिक दवा
( Homeopathic Remedies For Prostate In Hindi )
बुढ़ापे के फलस्वरूप प्रोस्टेट ग्रन्थि का बढ़ना । बच्चों का सा व्यवहार करे – बैराइटा कार्ब 30 या 200
जब रोग लक्षण बदलते रहें। रोगी कभी खुश कभी दुखी हो; खुली हवा में अच्छा महसूस करे – पल्सेटिला 30 या 200
खासकर बुढ़ापे में प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाए। अंडकोषों में भी दर्द; छूने से बढे, पेशाब में रुकावट हो – सैबाल सैरुलाटा Q या 6
जब रोग चोट लगने के कारण हो – आर्निका 30 या 200
जब कष्ट रात के समय बढ़ें – मर्क सौल 30 या 200
जब पेशाब रुक-रुक कर बूंद-बूंद कर आए – पैरिऐरा ब्रावा Q या 6
जब रोग पुराना हो और उपरोक्त दवाएँ काम न करे – सल्फर 200 या 1M
जब प्रोस्टेट ग्रन्थि बढ़ने के साथ बवासीर भी हो – स्टैफिसैग्रिया 30 या 200
जब प्रोस्टेट ग्रन्थि सख्त हो जाये। औरतों से हंसी-मजाक करने पर या पाखाना जाने के समय स्राव निकले – कोनियम 30 या 200
प्रोस्टेट ग्रन्थि सख्त हो या सूज जाये। मूत्राशय खाली करने के लिए लगातार 4-5 बार पेशाब जाये – थूजा 30 या 200
प्रोस्टेट ग्रन्थि बहुत भारी महसूस हो – मैडोराइनम 200 या 1M
प्रोस्टेट ग्रन्थि में सूजन हो, रोगी को ऐसा लगे जैसे किसी गेंद पर बैठा है – चिमाफिला Q या 30
बैठे रहने पर नींद के दौरान, पाखाना जाते समय प्रोस्टेट ग्रंथि से स्राव निकले – सैलेनियम 6 या 30
जवान औरतों से बात करते समय प्रोस्टेट ग्रन्थि से स्राव निकले – फॉस्फोरस 30 या 200
प्रोस्टेट ग्रन्थि से स्राव निकले। ऐसा लगे जैसे किसी गेंद पर बैठा है – सीपिया 200 या 1M